
रविवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में बुलाई गई आपात बैठक के बाद बोर्ड के अध्यक्ष सज्जाद नोमानी ने कहा, ‘इस बिल को बनाते समय किसी भी तरह की वैध प्रक्रिया को ध्यान में नहीं रखा गया है। न तो किसी पक्षकार से बात की गई, न उनकी राय जानने की कोशिश की गई। हम पीएम से अपील करते हैं कि वह इस बिल को रोक दें और वापस लें।’
बोर्ड ने कहा है कि यह शरीयत के खिलाफ है। हर स्तर पर केंद्र सरकार के इस प्रस्तावित बिल का विरोध होगा। आपात बैठक के बाद मुस्लिम संगठन ने कहा कि केंद्र को बिल बनाने से पहले बात करके हमारी राय लेनी चाहिए थी। बोर्ड ने इस बिल में तीन साल की सजा के मसौदे को क्रिमिनल ऐक्ट बताते हुए कहा कि यह महिला विरोधी बिल है। बोर्ड ने कहा कि यह बिल महिला आजादी में दखल की तरह है।
मौलाना नोमानी ने कहा कि जिस तलाक को उच्चतम न्यायालय ने अवैध बताया था, उसे केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया में उलझा दिया है। सवाल यह है कि जब तीन तलाक होगा ही नहीं तो सजा किसे दी जाएगी। मौलाना नोमानी ने कहा कि बोर्ड की केंद्र सरकार से गुजारिश है कि वह अभी इस विधेयक को संसद में पेश न करे। अगर सरकार को यह बहुत जरूरी लगता है तो वह उससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा मुस्लिम महिला संगठनों से बात कर ले।