चीन ने लद्दाख की सीमा से पीछे हटने के एवज में भारत के सामने चुमार सेक्टर से बंकर हटाने की शर्त ही नहीं रखी है बल्कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास सी-130जे और ग्लोबमास्टर जैसे बड़े मालवाहक विमानों को नहीं उड़ाने का वादा भी लिया है।
चीन के पीछे हटने को भारत अपनी कूटनीतिक कामयाबी भले ही मान रहा हो लेकिन चीन को भरोसा दिलाने के मकसद से चुमार के छह अधूरे बंकरों पर काम रोक कर एक मात्र तैयार बंकर को नष्ट कर दिया गया है।
चीन को मालूम है कि भारत ग्लोबमास्टर नामक अमेरिकी मालवाहक विमान जल्द ही अपनी सेना में शामिल करने वाला है। जबकि सी-130 जे विमान पहले से भारत के पास है।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक चीन की बंकर हटाने की शर्त मान ली गई है। लेकिन अपने हवाई क्षेत्र में मालवाहक विमान नहीं उड़ाने की चीन की मांग पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक चीन ने इस विवाद पर चौथे और अंतिम फ्लैग मीटिंग में भी आईटीबीपी और सेना के गश्त लगाने पर भी नुक्ताचीनी की है। गश्त पर चीन पहले फ्लैग मीटिंग से ही नाराजगी जता रहा है।
सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों की पहली वरीयता यह थी कि इस ताजा तनातनी को कम किया जाए। सैन्य कार्रवाई के पक्ष में दोनों देश नहीं हैं। लेकिन चीन की सेना ने योजना के तहत एक विवादास्पद स्थिति खड़ी की और भारत के सामने कई शर्तें रख दी। हालांकि भारतीय सेना उन शर्तों पर अपनी सुविधा से ही अमल करेगी।
मगर सूत्रों का दावा है कि कूटनीतिक स्तर पर भारत के अड़ियल रवैये ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर किया है।
भारत ने साफ कर दिया था कि अगर चीन इस घुसपैठ पर बाज नहीं आता तो विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की चीन यात्रा और इसी महीने चीनी प्रीमियर ली केक्यांग की भारत यात्रा खटाई में पड़ सकती है।
ऐसे में भारत के साथ 5,41,300 करोड़ रुपये के व्यापार पर चीन एलओसी का ग्रहण नहीं लगने देना चाहता।
सूत्रों के मुताबिक चुमार से बंकर हटा देने का यह मतलब कतई नहीं लगाया जाना चाहिए कि इस सौदेबाजी में चीन का पलड़ा भारी है।
इस बीच सेना के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि दौलत बेग ओल्डी से तंबू समेटने के बाद चीनी सैनिक वापस अपने इलाके में लौट गए हैं। सेना ने अपने मानव रहित विमान यानी यूएवी की उड़ानों के जरिए चीनी सैनिकों के अपने बैरकों में लौटने की बात कही है।