मध्य प्रदेश में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने सरकार के परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत कॉन्डम बांटने से इंकार कर दिया है। इसे उन्होंने अपनी गरिमा के खिलाफ बताया है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, राज्य के विभिन्न जिलों में आशा (एक्रीडियेडेट सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट) कार्यकर्ताओं ने इस काम में असहजता दिखाते हुए इसे करने से मना कर दिया है।
महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कार्य उनकी गरिमा के खिलाफ है।
राज्य के दमोह जिले में ‘आशा’ की अध्यक्षा मिथिलेश विश्वकर्मा का कहना है कि यह कार्य हमारी गरिमा के खिलाफ है। यहां काम करने वाली कार्यकर्ताएं गांव में ही किसी की बहू या बेटी हैं ऐसे में वह कॉन्डम कैसे बेच सकती हैं।
उन्होंने कहा कि हम अन्य योजनाओं को लागू करने के लिए काम कर रहे हैं।
इनके अलावा होशंगाबाद जिले में आशा की अध्यक्षा शमा परवीन ने भी कॉन्डम बांटने का काम करने से मना किया है।
उनका कहना है कि अभी तक तो हमसे इस संबंध में नहीं कहा गया है लेकिन हम घर-घर जाकर कॉन्डम नहीं बेच सकते।
उनसे पहले अन्नुपुर में ‘आशा’ कार्यकर्ताओं के संघ की अध्यक्षा अफसाना ने भी कॉन्डम बेचने के कार्य में असहजता जताई थी।
इस मामले में समस्या को स्वीकारते हुए राजगढ़ जिले में स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक आनंद भारद्वाज ने कहा है कि पुरुष भी महिला कार्यकर्ताओं से कॉन्डम लेते असहज महसूस करते हैं।
भारद्वाज ने कहा कि अगर कॉन्डम किसी चीज में लपेट कर दिए जाएं और कार्यकर्ता इसके लिए पैसे न मांगे तो समस्या का समाधान निकल सकता है।
परिवार नियोजन की इस योजना का उद्देश्य कार्यकर्ताओं को रोजगार दिलाना भी है। कार्यकर्ता कॉन्डम का एक पैकेट एक रुपए में बेचते हैं। यह योजना कई जिलों में परवान नहीं चढ़ पाई।
राज्य के परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रभारी जेएल मिश्रा ने माना है कि इस योजना में समस्या जरूर है लेकिन रिकॉर्ड देखने के बाद ही स्थिति का मूल्यांकन किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश के 34 जिलों में से एक दमोह में भी घर तक गर्भनिरोधक पहुंचाए जाने की योजना लागू की जा रही है। ऐसा प्रायोगिक तौर पर किया जा रहा है।
पूरे देश में 17 राज्यों के 233 जिलों में यह योजना चलाई जा रही है।