लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि 6 से 12 मई तक ‘इंटरनेशनल क्लाइटॉरिस अवेयरनेस वीक’ मनाया जा रहा है।
सात दिन ‘क्लाइटॉरिस अवेयरनेस वीक’ के जरिए पहली बार महिला के शरीर के सबसे सेंसुएस पार्ट को सेलिब्रेट करने और महिलाओं को इसके बारे में जागरूक करने के लिए ये वीक मनाया जा रहा है।
लॉस वेगास की एक संस्था ‘क्लीटोरेड’ जो कि छेड़छाड़ और शोषण से पीड़ित महिलाओं की मदद करता है, ने महिलाओं को ‘क्लाइटॉरिस’ के बारे में जागरूक करने के लिए मई का पहला सप्ताह निर्धारित किया है।
हफ पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘क्लीटोरेड’ की प्रवक्ता नादिन गैरी का कहना है कि ‘क्लाइटॉरिस अवेयरनेस वीक’ के जरिए महिलाओं को उनके इस सेंसुएस पार्ट के बारे में जागरूक किया जा सकता है।
उनका कहना है, “अभी तक ‘क्लाइटॉरिस’ बहुत लाइमलाइट में नहीं आया है। महिलाएं इसके बारे में बात करने में असहज होती हैं।”
वे कहती हैं कि, ”क्लाइटॉरिस’ पर पहली बार बात 19वीं सदी में हुई थी। जब ये कहा गया कि ‘क्लाइटॉरिस’ को टच करने से ऑर्गेज्म प्राप्त होता है और इसकी तुलना वैजाइन ऑर्गेज्म से की गई थी।’
वे कहती हैं, ”क्लाइटॉरिस’ बच्चे के जन्म में सहायक नहीं होता, इसीलिए इसको नजरअंदाज किया जा रहा है। बस ये शरीर में मौजूद होता है।”
गौरतलब है कि गैरी पहले भी कुछ अवेयरनेस कैम्पेन जैसे ‘गो टॉपलेस डे’ जिसमें महिलाओं के टॉपलेस होने का समर्थन किया गया था, भी चला चुकी है।
गैरी का कहना है, “हमने पाया है कि जब भी कोई ‘अवेयनेस डे’ मनाया जाता है तो लोग उस पर आसानी से बात कर पाते हैं।” वे आगे कहती हैं कि अब से ‘इंटरनेशनल क्लाइटॉरिस अवेयरनेस वीक’ हर साल मई के पहले सप्ताह में मनाया जाएगा।
दरअसल गैरी का मानना है कि सेक्सुएलिटी को लेकर लोगों में एक टैबू है। हम उन चीजों को फोकस करके उन पर बात करने की कोशिश करते हैं। इससे लोग अपने सेक्सुएलिटी को लेकर जागरूक होते हैं।
गैरी को उम्मीद है कि अब महिलाएं ‘इंटरनेशनल क्लाइटॉरिस अवेयरनेस वीक’ के बाद से ‘क्लाइटॉरिस’ और सेक्सुएलिटी पर खुलकर बात कर पाएंगी।
गैरी कहती हैं, “हम चाहते हैं कि महिलाएं अपनी सेक्सुएलिटी के बारे में बात करें और उसे सेलिब्रेट करें।”