नई दिल्ली- डॉ. राजेश तलवार व डॉ. नूपुर तलवार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं। तलवार दंपति ने याचिका दाखिल कर सीबीआइ के बाकी बचे 14 गवाहों के बयान कराने की मांग की है। उन्होंने गाजियाबाद की अदालत में जारी उनके धारा 313 के बयानों पर रोक लगाने की भी मांग की। शीर्ष अदालत इस याचिका पर 28 मई को सुनवाई करेगा।
आरुषि की मई 2008 में हत्या हो गई थी। इस मामले में तलवार दंपति पर अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या का मुकदमा चल रहा है। गाजियाबाद की अदालत में मामले का ट्रायल चल रहा है। जहां सीबीआइ की गवाहियां पूरी हो चुकी हैं और आजकल तलवार दंपति के धारा 313 के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। गाजियाबाद अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआइ के 14 गवाहों के बयान कराने की मांग वाली तलवार दंपति की याचिका खारिज कर दी है। शुक्रवार को तलवार के वकील शिवेक त्रेहन ने न्यायमूर्ति बीएस चौहान व न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया।
दाखिल याचिका में दंपति ने इलाहाबाद हाइ कोर्ट के 21 मई के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि सीबीआइ के 14 गवाहों के या तो अभियोजन के गवाह के तौर पर या फिर कोर्ट के गवाह के तौर पर बयान कराए जाएं। इन 14 गवाहों में आरुषि हत्याकंाड के समय सीबीआइ के संयुक्त निदेशक अरुण कुमार भी शामिल हैं। तलवार दंपति का यह भी कहना है कि वह इन गवाहों को बचाव पक्ष के गवाहों के तौर पर पेश नहीं कर सकते क्योंकि इनमें कुछ सरकारी अधिकारी हैं, जिनकी नौकरी उन्हें इसकी इजाजत नहीं देगी।
इससे पहले तलवार दंपति ने गाजियाबाद अदालत के गवाहों को बुलाने की अर्जी खारिज करने के फैसले को सीधे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका पर यह कहते हुए विचार करने से इन्कार कर दिया था कि वे हाई कोर्ट को बाइपास करके सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकते हैं। अब दंपति ने हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद फिर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है।