सीबीआई के हलफनामे के बाद कानून मंत्री अश्वनी कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं जबकि रेल मंत्री पवन बंसल पर भी तलवार लटकी हुई है।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस्तीफे के इंकार के बावजूद भी दोनों मंत्रियों की कुर्सी से खतरा टला नहीं है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हो रही फजीहत को लेकर कांग्रेस के अंदरखाने में मंथन जारी है।
सीबीआई के हलफनामे के बाद अश्वनी कुमार ने सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री से मुलाकात की। अश्वनी को लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ज्यादा खफा बताया जा रहा है। वहीं पार्टी आलाकमान की ओर से बंसल को दोबारा सफाई के लिए बुलाया जा सकता है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के हलफनामे में कानून मंत्री की जांच रिपोर्ट में सीधी दखलंदाजी सामने आने के बाद विपक्ष ने कड़ा रुख अपना लिया। इस कारण दोनों मंत्रियों के इस्तीफे को खारिज करने वाली कांग्रेस और यूपीए सरकार बचाव में आ गई है।
चौतरफा विरोध को देखते हुए पार्टी को कहना पड़ रहा है कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले हमें थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। दूसरी तरफ पार्टी के एक वरिष्ठ महासचिव ने कहा कि यह चैप्टर अभी बंद नहीं हुआ है।
पार्टी एक-एक करके मामले को देखेगी। सीबीआई के हलफनामे के बाद कानून मंत्री की मुश्किलें बेहद बढ़ गई हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी से भी मुलाकात की।
अश्वनी को लेकर पार्टी ने खुलकर कहा है कि इस संबंध में आठ मई को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। हमें जो भी कहना होगा। कोर्ट के फैसले के बाद कहेंगे। सूत्रों का कहना है कि कानून मंत्री को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं में काफी रोष है।
पिछले दिनों उन्होंने पार्टी की एक शीर्ष समिति के सामने खुद को निर्दोष होने की सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि सीबीआई के अधिकारियों की बैठक उन्होंने नहीं बुलाई थी। मगर जांच एजेंसी ने हलफनामे में कहा है कि यह बैठक कानून मंत्री ने ही बुलाई थी।
पार्टी और सरकार में शीर्ष स्तर पर माना जा रहा है कि कानून मंत्री के रुख से काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ बंसल पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि बंसल को दोबारा पार्टी आलाकमान तलब कर उनकी सफाई मांग सकता है। अगर मीडिया या फिर जांच रिपोर्ट में कोई नया तथ्य बंसल के खिलाफ आता है तो पार्टी उनके खिलाफ कड़ा फैसला ले सकती है।