टू-जी घोटाले की जांच के लिए गठित जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) ने इस मामले में पीएम मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को क्लीन चिट दे दी है। समिति का कहना है कि तब के टेलिकॉम मंत्री ए. राजा ने पीएम को 2-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन को लेकर दिगभ्रमित किया और राजा के वायदे भी झूठे साबित हुए। समिति ने इस घोटाले को लेकर तब के टेलिकॉम मिनिस्टर ए.राजा को दोषी ठहराया है। साथ ही समिति ने वाजपेयी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि द्वारा वर्ष 1999 में नीतिगत बदलाव के कारण 40,080 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ।
कांग्रेस सांसद पी.सी.चाको की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने वाजपेयी सरकार के नीतिगत बदलाव के कारण 40,080 करोड़ के राजस्व के नुकसान की बात कही हैं। गेंद को बीजेपी के पाले में डालने के कदम के तहत समिति ने कहा कि तत्कालीन टेलिकॉम मिनिस्टर जगमोहन द्वारा टेलिकॉम कंपनियों द्वारा राजस्व के बंटवारे के फॉर्मूलें की ओर पलायन पर आपत्ति जताने से 40,080 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि तब के टेलिकॉम मिनिस्टर स्वर्गीय प्रमोद महाजन के कार्यकाल में स्पेक्ट्रम आवंटन के निर्णय से भी राजस्व का नुकसान हुआ।
साथ ही जेपीसी मे इस मामले टू-जी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर सीएजी द्वारा अनुमानित 1.76 लाख करोड़ रुपए को नुकसान को भी विरोधाभासी करार दिया। जेपीसी ने साथ ही इस मामले में वित्तमंत्री पी.चिदंबरम को भी क्लीन चिट दे दी है। समिति का कहना है कि टेलिकॉम मंत्रालय ने पीएम के साथ हुए पत्रव्यवहार में इस आवंटन को लेकर पूरी पारदर्शिता बरतने का आश्वसन दिया था जोकि नहीं निभाया गया और टेलिकॉम मंत्रालय ने इस मामले में इसका उलटा किया और पीएम से भी झूठ बोला और उन्हें अंधेरे में रखा।