पाकिस्तान उनकी जन्मभूमि है लेकिन पाकिस्तान का नाम लेते ही उनके चेहरे पर दहशत छा जाती है और आंखों में खौफ दिखाई देने लगता है.
अपना देश उनके लिए अपमान व जलालत का ऐसा कुआं है जिसमें हर दिन डूबना होता है. कुम्भ मेले में स्नान करने के लिए एक माह का वीजा लेकर भारत आए 480 हिन्दू पाकिस्तानी अब किसी भी हालत में वापस लौटना नहीं चाहते. उन्हें मौत तो मंजूर है लेकिन वतन वापसी नहीं. उनके एक माह की वीजा अवधि 9 अप्रैल को समाप्त हो रही है, ऐसे में देश की राजधानी में उनकी मौजूदगी अब शासन प्रशासन के लिए भी एक संवैधानिक संकट बनती दिखाई दे रही है.
कुंभ नहाने आए ये पाकिस्तानी दिल्ली में ठहरे हुए हैं
पाकिस्तान में लगातार जुल्म व ज्यादती का शिकार हुए इन लोगों ने जहां सरकार से भारत की नागरिकता देने की मांग की है वहीं कुछ हिन्दू संगठन भी अब इनकी पैरवी में आगे आ रहे हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत स्थित हैदराबाद तथा आस पास के अन्य गांवों में रहने वाले लगभग 200 हिन्दू परिवार 9 मार्च को राजस्थान की सीमा से मुनाबाद होते हुए एक माह का भारतीय टूरिस्ट वीजा लेकर भारत आये थे.
इन परिवारों में पुरुष, महिलाएं व बच्चे मिलाकर कुल 480 लोग हैं जिन्होंने वीजा तो कुम्भ मेले में स्नान के लिए लिया था लेकिन कुम्भ में जाने के बजाय यह सभी परिवार जोधपुर होते हुए राजधानी दिल्ली आ गये. दिल्ली में ये बिजवासन स्थित अंबेडकर कालोनी निवासी नाहर सिंह के 28 कमरों के एक मकान में ठहरे हुए हैं जहां गांव के लोग व कुछ सामाजिक संगठन इनके खान पान का इंतजाम कर इनकी मदद कर रहे हैं. इन परिवारों में पुरुषों की संख्या कम है जबकि महिलाओं व बच्चों की संख्या अधिक है.
महिला सदस्यों का सम्मान बचाने के चलते अब ये पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते.आज जब इन परिवारों से मीडिया ने मुलाकात की तो इनकी जबान पर जहां पाकिस्तान में मिले जुल्म व दरिंदगी के किस्से थे वहीं आंखों में दहशत व खौफ था. उनका कहना था कि देश विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान में उनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार हो रहा है और आये दिन न केवल उन पर जुल्म, ज्यादती व हमले होते हैं बल्कि उनकी आंखों के सामने ही उनकी बहू बेटियों की इज्जत लूट ली जाती है. उन्होंने बताया कि बेटियों की इज्जत बचाने के लिए वह 10 से 12 वर्ष की उम्र में ही उनकी शादियां कर देते हैं.
इन लोगों ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से भारत आने की योजना बना रहे थे, लेकिन उन्हें वीजा नहीं मिल रहा था. इस वर्ष कुम्भ का मेला होने के कारण उन्हें पता चला कि मेले में स्नान के लिए पाकिस्तानी हिन्दुओं को वीजा दिया जाता है, कुम्भ के लिए ही उन्होंने वीजा लिया था. इन पाकिस्तानी हिन्दुओं का नेतृत्व कर रहे पाकिस्तान के हैदराबाद निवासी धर्मवीर बागड़ी ने दक्षिण पश्चिम जिले के उपायुक्त तथा केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर भारतीय नागरिकता देने की मांग की है.
सभी परिवारों को गोद लेने को तैयार नाहर सिंह
उनका कहना है कि पाकिस्तान लौट कर एक बार फिर वह जुल्म व ज्यादती की खाई में गिरना नहीं चाहते, इसलिए उन्हें भारत में शरण दी जानी चाहिए. धर्मवीर के अनुसार उनके साथ आये सभी परिवारों ने अपने स्वाभिमान व अस्मत को बचाने के लिए पाकिस्तान में स्थित अपनी सम्पत्ति व घर आदि का त्याग कर दिया है, भारत में ये परिवार अब केवल शरण चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मानवता के नाते उन्हें यहां शरण दी जानी चाहिए.
अब कुछ हिन्दू संगठन भी उनकी मदद के लिए आगे आये हैं. विश्व हिन्दू परिषद ने पाकिस्तान से आये इन सभी परिवारों को भारतीय नागरिकता देने की मांग की है. परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है कि जब विभाजन के बाद भारत आये हिन्दू परिवारों को यहां की नागरिकता मिल सकती है तो फिर इन परिवारों को क्यों नहीं मिल सकती. उन्होंने कहा कि सरकार को इन परिवारों की मदद के लिए सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए.