राजस्थान में सूरजगढ़ कस्बे के एक निजी कॉलेज के परीक्षा केंद्र पर एक छात्र द्वारा हाइटेक तरीके से नकल करने का मामला सामने आया है। छात्र और उसके सहयोगी को चश्मे और घड़ी में ब्लूटूथ लगाकर परीक्षा में नकल करते पकड़ा गया है। जिले में हाइटेक नकल का यह पहला ऐसा मामला माना जा रहा है।
बीए-पार्ट तृतीय की अंग्रेजी की परीक्षा में मंगलवार को बरासिया कॉलेज स्थित परीक्षा केंद्र पर तहसीलदार किशोरीलाल ने एक छात्र को ब्लूटूथ के जरिए नकल करते हुए पकड़ा। उससे पूछताछ के बाद कॉलेज के सौ मीटर के दायरे में कार में बैठकर हाइटेक घड़ी के जरिए भूपेन्द्र को नकल करवाने में मदद कर रहे उसके सहयोगी मनजीत को भी पकड़ा।
भूपेन्द्र ने बताया कि वह कॉलेज की तृतीय वर्ष की परीक्षा में लगातार छह बार से फेल हो रहा है। उसने इस बार नकल करके उत्तीर्ण होने की योजना बनाई थी। बीए तक पढ़ा हुआ मनजीत छात्र भूपेन्द्र का दोस्त है। मनजीत का कहना था कि उसे तो भूपेन्द्र ने मदद करने के लिए बुलाया था।
जानकारी के अनुसार इस नकल की सूचना तहसीलदार किशोरीलाल को ई-मेल के जरिए परीक्षा के एक दिन पहले मिली थी। किशोरीलाल के ई-मेल आईडी पर सोमवार शाम एक व्यक्ति ने मेल भेजा था। मेल में मधुकर कॉलेज के एक्स छात्र भूपेंद्र द्वारा परीक्षा के दौरान चश्मे के फ्रेम में ब्लूटूथ फिट कर नकल करने के बारे में लिखा था।
ई-मेल में छात्र का रोल नंबर, प्रवेश पत्र की कॉपी और कमरा नंबर भी दिया गया था। हालांकि ई-मेल भेजने वाले की जानकारी नही मिल पाई है।
इस सूचना के आधार पर तहसीलदार ने मंगलवार सुबह नौ बजे परीक्षा केंद्र पहुंचकर नकल करने वाले छात्र और उसके सहयोगी को पकड़ा। तहसीलदार ने उत्तर पुस्तिका, चश्मा, घड़ी, सिम और बैटरी जब्त कर ली है।
भूपेन्द्र की यह तीसरे विषय की परीक्षा थी। इससे पहले दो में भी उसने नकल की या नहीं यह अभी पता नहीं चल पाया है।
कैसे करते थे नकल
परीक्षा दे रहे भूपेंद्र ने अपने सामान्य चश्मे के एक तरफ ब्लूटूथ फिट किया हुआ था। परीक्षा केंद्र के बाहर कार में उसका सहयोगी मनजीत बैठा था जिसकी कलाई घड़ी ब्लूटूथ के जरिए चश्मे से कनेक्ट थी।
भूपेंद्र बाथरूम जाने के बहाने निकलता और चश्मे के फ्रेम में लगे एक छोटे से बटन को दबाता, वह बटन मनजीत की घड़ी से कनेक्ट हो जाता। तब भूपेंद्र प्रश्न पढ़कर मनजीत को बता देता और वापस कमरे में आ जाता। थोड़ी देर बाद मनजीत अपने पास रखी वनवीक सीरीज में सवालों के जवाब ढूंढकर धीरे-धीरे बोलकर भूपेंद्र को बताता और चश्मे में लगे यंत्र से सुनकर वह उत्तर पुस्तिका में लिख रहा था।
बताया जा रहा है कि नकल का यह तरीका पूरी तरह से हाइटेक है। चश्मे को इस तरह से बनाया गया है कि कोई आसानी से पकड़ भी नहीं पाए। चश्मे व घड़ी आपस में पांच सौ मीटर की दूरी तक कनेक्ट हो सकते हैं।
चश्मा, घड़ी कैसे मिले
भूपेंद्र ने चश्मा और घड़ी कहा से खरीदी है या खुद बनाई है इसका पता नहीं चल पाया है। हांलांकि भूपेंद्र को कहना है कि उसे चश्मा व घड़ी लुहारू रेलवे स्टेशन पर पड़े मिले थे।