क्या अंधविश्वास से खौफ खा गए अखिलेश ?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को लेकर नोएडा से जुड़े एक अंधविश्वास से क्या अखिलेश यादव भी खौफ खा गए? मंगलवार को यह सवाल हर खास-ओ-आम के बीच शिद्दत के साथ उठा। इसकी वजह यह थी कि नोएडा से जुड़ी 3300 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नोएडा जाने से बचे और उन्होंने लखनऊ में अपने सरकारी आवास से शिलान्यास की औपचारिकता पूरी की।

क्या है अंधविश्वास

यह संयोग भी हो सकता है लेकिन यह अंधविश्वास बन चुका है कि मुख्यमंत्री रहते जो भी नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। शायद इसी वजह से राजनाथ सिंह ने 2001 में मुख्यमंत्री के रूप में नोएडा के एक फ्लाईओवर का उद्घाटन दिल्ली से किया था। कहते हैं कि वीर बहादुर सिंह जब उप्र के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उन्होंने नोएडा जाने का जोखिम लिया, बाद में उनकी कुर्सी चल गई। मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह 1999 में नोएडा गए थे और कुछ ही दिनों बाद उनकी सरकार चली गई। राम प्रकाश गुप्ता के साथ भी ऐसा ही हुआ। सन 1997 में मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती को एक कार्यक्रम के सिलसिले में नोएडा जाना पड़ा। कुछ ही दिनों बाद उनकी भी कुर्सी चली गई। मुलायम सिंह यादव भी इस अंधविश्वास के शिकार हुए। 1995 में वह नोएडा गए और फिर कुर्सी भी चली गई। इसी डर की वजह से निठारी कांड के बावजूद वह 2007 में नोएडा नहीं गए।

चौथी बार सीएम बनने पर मायावती इस अंधविश्वास को तोड़ने को कई बार नोएडा गई, 2012 में सत्ता में उनकी वापसी नहीं हो पाई। इसी के मद्देनजर शायद अखिलेश यादव नोएडा जाने से बच रहे हैं। पिछले साल भी उन्होंने यहा की योजनाओं का लखनऊ से ही शिलान्यास किया था।

ऐसा नहीं

सपा ने इसे दुष्प्रचार बताया है कि अंधविश्वास के डर से मुख्यमंत्री नोएडा नहीं गए। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि समाजवादी अंधविश्वास में नहीं पड़ते। मुख्यमंत्री पहले भी कई अन्य शहरों की परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन लखनऊ से ही कर चुके हैं। इसलिए इस बार की इस औपचारिकता को तूल नहीं दिया जाना चाहिए।