कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने की योजना को सरकार ने फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने का मन बना लिया है। इस संबंध में लाए जा रहे एक संशोधन को भी सरकार वापस लेगी।
सोमवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उड़ीसा के कांग्रेसी सांसदों व विधायकों को यह आश्वासन केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इस आशय की घोषणा जल्द ही संसद में की जाएगी। वित्तमंत्री से मुलाकात के बाद हुड्डा ने बताया कि सरकार ने देश में कृषि भूमि पर कोई संपत्ति कर न लगाने का आश्वासन दिया है।
साथ ही यह भी कहा है कि कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने संबंधी संशोधन को भी सरकार वापस लेगी। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से इस आशय का एक वक्तव्य जल्द ही सदन में दिया जाएगा।
इससे पूर्व प्रतिनिधि मंडल ने चिदंबरम को एक प्रतिवेदन दिया। जिसमें उनसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्र्रेस की ओर से आग्रह किया गया कि वे कृषि भूमि पर संपत्ति कर से संबंधित प्रस्तावित संशोधन को वापिस लें।
साथ ही इस बारे में सरकार की ओर से एक स्पष्टीकरण जारी किया जाए कि शहरी भूमि में कृषि भूमि शमिल नहीं है और इस पर कोई संपत्ति कर नही लगेगा।
चिदंबरम से यह भी अनुरोध किया गया कि वे आयकर विभाग को प्रशासनिक आदेश जारी करें कि� वे कृषि भूमि पर संपत्ति कर के भुगतान के निर्देश के संबंध में नये नोटिस जारी न करें।
चिदंबरम ने आश्वासन दिया कि यूपीए सरकार की नीति किसानों के हितों कि रक्षा करने की है।
प्रतिनिधि मंडल में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी, विदेश राज्य मंत्री परणीत कौर और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा शामिल थे।