रेलवे ने मई में नए कैटरिंग ठेके देने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके तहत सिर्फ प्रतिष्ठित ब्रांडों को ही ट्रेनों में खाने-पीने का सामान बेचने की इजाजत होगी। पांच साल की अवधि पूरी कर चुके ठेकों का नवीकरण नहीं किया जाएगा। केवल उन्हीं मौजूदा ठेकों का नवीकरण होगा जो पांच साल से कम अवधि के हैं। जनता खाना की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी और चाय-काफी के साथ जन आहार के आइटम 5 से 30 तक के बजाय 5 से 50 रुपये तक की कीमत पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
नए लाइसेंसी को मोबाइल व मेल पर खाने के आर्डर लेने के इंतजाम करने होंगे। बिना पैंट्री कार वाली ट्रेनों में खाने की क्वालिटी सुधारने के लिए रेलवे ने ट्रेन साइड वेडिंग कांट्रैक्ट के बाबत 16 जून 2011 को जारी कई नियम या तो बदल दिए हैं या रद कर दिए हैं। इस संबंध में 12 अप्रैल को नया सर्कुलर जारी किया जा चुका है।
सर्कुलर के मुताबिक ज्यादातर मामलों में जोनल रेलवे ट्रेनों में कैटरिंग का काम खुद संभालेगा। लेकिन जिन ट्रेनों में यह तत्काल संभव नहीं होगा, वहां टीएसवी लाइसेंस खुली, प्रतिस्पद्र्धात्मक निविदा प्रणाली के आधार पर पांच साल के लिए जारी किए जाएंगे। पांच साल के लिए जारी जिन लाइसेंसों की अवधि पूरी हो गई है, उनका नवीकरण नहीं होगा। केवल 9 माह व पांच साल से कम वाले लाइसेंस ही अवधि पूरी होने के बाद नवीकृत किए जाएंगे। अब मौजूदा स्थिर कैटरिंग इकाइयों से सीमित टेंडर आमंत्रित नहीं किए जाएंगे। सभी निविदादाताओं को निविदा पत्र में खाने के आइटमों और उनकी कीमतों का ब्योरा देना होगा।
वर्ष 2011 के सर्कुलर के पैरा 12 में एक अहम बदलाव और किया गया है। इसके अनुसार अब यात्रियों को किफायती खाना और जनता खाना क्षेत्रीय भोज्य सामग्री की भरपूर उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ इन आइटमों को जन आहार इकाइयों में 5 से 50 रुपये तक की कीमत पर उपलब्ध कराना होगा। अब तक इन आइटमों की कीमत 5 से 30 रुपये के बीच थी। नए ठेकेदारों को रास्ते में पड़ने वाले स्टेशनों पर ट्रेनों में यात्रियों को ताजा, गर्म व स्वास्थ्यवर्द्धक खाना परोसना पड़ेगा। इसका इंतजाम इस तरह होगा ताकि नाश्ता, लंच, शाम की चाय और रात का खाना उपयुक्त स्टेशनों पर सप्लाई हो।