कट रही जेब, खाना पैक कराने पर भी सर्विस टैक्स

imagesएसी रेस्तरां में खाने पर सर्विस टैक्स लगने के बाद उन ग्राहकों की जेब भी कट रही है जो खाना पैक कराकर लाते हैं। बजट में खाने पर पड़े टैक्स के इस बोझ को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

गत एक मार्च को जारी अध्यादेश में होम डिलीवरी, टेक होम फूड और मॉल के भीतर बने फूड काउंटर से खरीदे खाने पर सर्विस टैक्स को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस बीच तमाम देसी-विदेशी रेस्तरां ने खाना पैक कराने पर भी सर्विस टैक्स वसूलना शुरू कर दिया है।

सर्विस टैक्स से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ सीए विमल जैन का कहना है कि इस फैसले में पूरी स्पष्टता नहीं है, जिसके चलते एसी रेस्तरां से सेल्फ सर्विस, टेक होम और होम डिलीवरी पर भी सर्विस टैक्स भरना पड़ रहा है।

सरकारी नियम बैठकर खाने की सुविधा वाले एसी रेस्तरां और फूड काउंटर के बीच कोई फर्क नहीं करता। यही स्थिति होम डिलीवरी और टेक होम को लेकर है।

इस फैसले का मकसद एसी रेस्तरां की सुविधाओं और सेवाओं को कर के दायरे में लाना था, लेकिन नियमों में स्पष्टता ने होने से सेवा न लेने वालों पर भी टैक्स को बोझ पड़ रहा है। रेस्तरां के अलावा ऑफिस और अस्पताल की कैंटीन के खाने पर भी सर्विस टैक्स देना पड़ रहा है।

उधर, बाहर के खाने पर पड़े टैक्स की बोझ से रेस्तरां कारोबारी भी खुश नहीं हैं। मैकडोनल्ड इंडिया के पार्टनर कनॉट प्लाजा रेस्तरां के एमडी विक्रम बख्शी का कहना है कि मैकडोनल्ड पर टेक होम और होम डिलीवरी पर भी सर्विस टैक्स लिया जा रहा है।

टैक्स प्रावधानों में टेक होम और बैठकर खाने के बीच कोई फर्क नहीं किया गया है। नया टैक्स लगने से लोगों के खर्च करने की क्षमता प्रभावित होगी। नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) तीन बार वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मिलकर इस टैक्स को हटाने की मांग कर चुकी है।

एनआरएआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब ढाई लाख करोड़ रुपये के फूड सर्विस कारोबार में 74 फीसदी हिस्सा क्विक सर्विस रेस्त्रां और कैजुअल डाइन का है। यह रेस्तरां इंडस्ट्री का सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र है। एसी परिसर से लिए खाने पर सर्विस टैक्स लगने से यहां का अपेक्षाकृत सस्ता खाना भी महंगा हो जाएगा।