“यमुना नदी अगर रायबरेली से गुजर रही होती तो कभी की साफ हो चुकी होती.”
लोकसभा में सोमवार को यमुना प्रदूषण के मुद्दे पर सुषमा स्वराज ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए ये बात कही.
यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने और उसका जल प्रवाह बढ़ाने के उद्देश्य से मथुरा के वृंदावन से 11 दिन की पदयात्रा करके राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे ‘यमुना मुक्तिकरण’ पदयात्रियों का समर्थन करते हुए लोकसभा ने सोमवार को एक स्वर में कहा कि इस मुहिम में सदन उनके साथ है.
‘मथुरा में पुजारी प्रदूषित जल से ही पूजा अर्चना करने को बाध्य’
इस दौरान विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि यमुना नदी मथुरा जाते जाते लगभग सूख गयी है और दिल्ली में भयंकर रूप से प्रदूषित है. मथुरा में पुजारी इसके प्रदूषित जल से ही पूजा अर्चना करने को बाध्य हैं.
उन्होंने कहा कि यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए हजारों करोड़ रूपये खर्च किये जाने के बाद भी ये जैसी की तैसी है.
सुषमा ने कहा कि अगर सरकार में इच्छाशक्ति हो तो इसे फिर से स्वच्छ जल से लबालब किया जा सकता है.
उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां साबरमती नदी सूख गयी थी लेकिन नर्मदा से जोड़कर उसे फिर से जल से लबरेज कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में भी क्षिप्रा नदी को नर्मदा से जोड़ा जा रहा है.
सुषमा ने सरकार से सवाल किया कि इतना अधिक धन खर्च करने के बावजूद यमुना नदी में न तो जल का प्रवाह बढ़ा और न ही प्रदूषण घटा.
उन्होंने मांग की कि अल्पकालिक उपाय के रूप में हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से जल छोड़े जाने का तुरंत आदेश दिया जाए.
इस बीच उन्होंने कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि अगर ये नदी रायबरेली से गुजर रही होती तो इसकी ये स्थिति नहीं होती. यह कभी की साफ हो चुकी होती.
यमुना मुक्तिकरण पदयात्रियों की मुहिम में लोकसभा साथ
इस दौरान ‘यमुना मुक्तिकरण’ पदयात्रियों का समर्थन करते हुए लोकसभा ने एक स्वर में कहा कि इस मुहिम में सदन उनके साथ है.
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा, ‘‘यमुना की दयनीय स्थिति से विचलित होकर वृंदावन-मथुरा से पदयात्री यहां आए हैं. गंगा और यमुना जीवनदायिनी नदियां हैं. ये देश के किसानों, कृषि, साधारण जनता और उसकी आस्थाओं से जुड़ी हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘सदन एक स्वर में उन्हें (पदयात्रियों) आश्वस्त करे कि वह उनके साथ हैं. पूरे सदन ने, हर सदस्य ने इस विषय से अपने को सम्बद्ध किया है.’’
मीरा कुमार ने कहा कि सदन का समवेत स्वर अनुगूंज हो और ये इतना सशक्त हो कि देश की दोनों पवित्र नदियों को प्रदूषणमुक्त करने में इसका असर पड़े. उन्होंने कहा कि यह सदन का संकल्प है.
‘गंगा और यमुना की स्वच्छता को लेकर सरकार गंभीर’
पर्यावरण एवं वन मंत्री जयंत नटराजन ने सदन को आश्वस्त किया कि संप्रग सरकार गंगा और यमुना को साफ करने के कार्य को अत्यंत गंभीरता से ले रही है.
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही गंगा और यमुना को स्वच्छ करने की योजना शुरू की थी और अगर ऐसा नहीं किया गया होता तो इन नदियों की दुर्दशा और भी भयंकर होती.
जयंती ने कहा कि जहां तक हथिनीकुंड बैराज से जल छोड़ने का मामला है, ये एक राजनीतिक विषय है क्योंकि हर राज्य अपनी कृषि के लिए जल को अपने बैराजों पर संजोकर रखता है.
‘जगह-जगह जल शोधन संयंत्र लगाएं राज्य’
उन्होंने कहा कि यमुना को प्रदूषणमुक्त रखने के लिए कई नाले बनाये गये लेकिन उन्हें जल शोधन संयंत्रों से नहीं जोड़ा गया.
जयंती ने कहा कि राज्यों को चाहिए कि वे अपने यहां जगह-जगह जल शोधन संयंत्र लगाकर गंदे पानी को वहां शोधित करने के बाद ही नदी में छोड़ें.
इस विषय पर राजद के लालू प्रसाद, कांग्रेस के जगदंबिका पाल सहित लगभग सभी दलों के सदस्य अपनी बात रखना चाहते थे लेकिन अध्यक्ष ने सदन को इस विषय से संबद्ध करके कहा कि सदस्यों की ओर से नोटिस आने पर इस बारे में अलग से चर्चा करायी जा सकती है.