कुंडा में डीएसपी जियाउल हक की हत्या के मामले में जांच के लिए सीबीआई की दस सदस्यीय टीम शुक्रवार को प्रतापगढ़ पहुंचेगी.
दस सदस्यीय टीम के साथ में सीबीआई की फोरेंसिक टीम भी होगी.
ज्ञात हो कि सीबीआई ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें राजा भैया का भी नाम है कहा ये भी जा रहा है कि सीबीआई राजा भैया से पूछताछ कर सकती है कुंडा हत्याकांड में सीबीआई ने चार और केस दर्ज किए गये हैं चौथे केस में राजा भइया को भी आरोपी बनाया गया है.
सीबीआई करा सकती है दोबारा पोस्टमार्टम
हैरत की बात है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के जिस प्रारूप को शासन ने दो महीने पहले ही नकार दिया था उसी प्रारूप पर कुंडा में हुई डिप्टी एसपी जियाउल हक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बना दी गयी.
इसे अधिकारियों की लापरवाही ही मानेंगे कि सूबे का सबसे हाईप्रोफाइल मामला होने के बावजूद इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. सीबीआई जांच के दौरान तीन डाक्टरों के पैनल द्वारा बनायी गयी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से कई मेडिको लीगल दुश्वारियां सामने आ सकती हैं जिसके बाद इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि सीबीआई को शहीद डिप्टी एसपी के शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराना पड़ जाये.
गृह विभाग ने गत 11 जनवरी को शासनादेश जारी कर पूरे प्रदेश में पोस्टमार्टम के लिए नये प्रारूप को लागू किये जाने की घोषणा की थी.
स्टमार्टम के पुराने प्रारूप के मुकाबले इसे विशेषज्ञों की राय व विभिन्न मामलों की जांच के दौरान पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर आने वाली दुश्वारियों को ध्यान में रखते हुए नया प्रारूप बनाया गया था.
पुराना प्रारूप आमतौर पर दो पन्नों का होता है जबकि नये प्रारूप में विवेचना की गुणवत्ता के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इस तरह बनाया गया था कि मृतक की मौत के बारे में छोटी से छोटी जानकारी भी नजरअंदाज न हो सके. उदाहरण के लिए नये प्रारूप में मृतक के शरीर पर आयी चोटों के बारे में विस्तृत उल्लेख करने के अलावा उसे चित्रों के माध्यम से दर्शाना भी जरूरी कर दिया गया था.
इसके अलावा डीएनए के मिलान के लिए नमूना लिये जाने के भी स्पष्ट निर्देश दिये गये है. शहीद डिप्टी एसपी के शव का पोस्टमार्टम करते समय डाक्टरों ने पुराने प्रारूप के मुताबिक जांच कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की है जो आगे चलकर विवेचना के दौरान कई मेडिको लीगल दुश्वारियां पैदा कर सकती है.
नये प्रारूप के मुताबिक पोस्टमार्टम करने के लिए सूबे के 1500 सरकारी डाक्टरो को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. प्रतापगढ़ से राजधानी की दूरी भी इतनी नहीं थी कि शहीद डिप्टी एसपी के शव का पोस्टमार्टम करने के लिए प्रशिक्षित डाक्टरों की टीम न भेजी जा सकती. इसके बावजूद इस ओर किसी ने ध्यान तक नहीं दिया. इन तथ्यों को देखते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि सीबीआई जियाउल हक के शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराने को मजबूर हो जाये.