नई दिल्ली । महाराष्ट्र के राज्यपाल, अभिनेता संजय दत्त को शस्त्र अधिनियम में सुनाई गई पांच साल के कठोर कारावास की सजा से नहीं बचा सकते। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसआर सिंह के अनुसार राज्यपाल के पास संजय दत्त को माफी देने का संवैधानिक और कानूनी अधिकार नहीं है। दत्त को शस्त्र अधिनियम [आर्म्स एक्ट] के तहत सजा सुनाई गई है। ये केंद्रीय कानून है, इसलिए सिर्फ राष्ट्रपति ही दत्त को माफी दे सकते हैं।
दत्त को माफी की अपील करने वाले राजनेताओं और जान-माने कानूनविदों ने शायद राज्यपाल को मिले माफी देने के संवैधानिक अधिकार की कानूनी बारीकियों पर विचार नहीं किया है, जो दत्त को माफी देने में राज्यपाल के हांथ बांध देती हैं। राज्यपाल के पास किसी को भी माफ करने का असीमित अधिकार नहीं है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसआर सिंह कहते हैं कि राज्यपाल सिर्फ उन्हीं मामलों में माफी दे सकते हैं जिनमें राज्य सरकार के बनाए कानून का उल्लंघन किया गया हो या फिर जिन विषयों में राज्य और केंद्र दोनों को कानून बनाने का अधिकार हो। शस्त्र अधिनियम केंद्रीय कानून है। संविधान की अनुसूची 7 के पांचवें नंबर पर दर्ज है कि आयुध यानी शस्त्र या आग्नेयास्त्र, गोला-बारूद व विस्फोटक के बारे में कोई भी कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है। ये चीजें संघ सूची [केंद्रीय सूची] का विषय हैं। इसलिए इन कानूनों के उल्लंघन में दोषी व्यक्ति को सिर्फ राष्ट्रपति ही माफी दे सकते हैं राज्यपाल नहीं।
न्यायमूर्ति सिंह के मुताबिक राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 161 में माफी देने का अधिकार है। लेकिन वे उन्हीं विषयों में सजा माफ कर सकते हैं जिनमें राज्य को कानून बनाने का अधिकार है। अनुच्छेद 162 राज्य की कार्यपालिका शक्ति [एक्जीक्यूटिव पावर] के विस्तार का विवरण देता है। अनुच्छेद 154 कहता है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी। राज्यपाल की शक्ति को समझने के लिए सभी को साथ रख कर देखा जाएगा।
अब अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को मिले क्षमादान के अधिकार पर निगाह डालें तो वहां भी ऐसी ही भाषा इस्तेमाल की गई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति किसी भी अपराध में दोष सिद्ध ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ कर सकते हैं, निलंबित या कम कर सकते हैं, जिसे सैन्य अदालत ने सजा सुनाई हो। या उन विषयों के कानूनों के उल्लंघन पर सजा सुनाई गई हो, जिन पर संघ की कार्यपालिका को कानून बनाने की शक्ति हो। अथवा जहां मौत की सजा दी गई हो। बात चाहे संजय दत्त की हो या मुंबई सीरियल धमाकों की दूसरी अभियुक्त जैबुन्निसा को माफी देने की, दोनों में समान कानून लागू होगा।
सजा माफी के लिए दत्त को खुद करनी होगी अपील
दत्त की माफी के लिए तीसरे पक्ष द्वारा अपील करने को भी कानूनविद् सही नहीं मानते। पूर्व सत्र न्यायाधीश डीके शर्मा कहते हैं कि सजा माफी के लिए दत्त को स्वयं अपील करनी होगी उनकी ओर से कोई और ऐसा नहीं कर सकता। सीआरपीसी की धारा 432 (5) सिर्फ जेल में बंद अपराधी की ओर से माफी अर्जी दिए जाने की बात करती है। अनुच्छेद 161 या 72 में यह स्पष्ट नहीं है कि तीसरा पक्ष क्षमा दान की अपील कर सकता है या नहीं। ऐसी स्थिति में सीआरपीसी की धारा 374 को देखा जाएगा जो कहती है कि अदालत से दोषी ठहराया गया व्यक्ति ही सजा के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील कर सकता है। जब तीसरा पक्ष अपील ही दाखिल नहीं कर सकता तो क्षमादान कैसे मांग सकता है।
माफी पर क्या कहता है संविधान
राष्ट्रपति का क्षमादान का अधिकार
अनुच्छेद 72 – (1) राष्ट्रपति को, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति की सजा माफ करने, उसे निलंबित या कम करने की शक्ति होगी।
(क) उन सभी मामलों में, जिनमें दंडादेश सैन्य अदालत ने दिया हो
(ख) उन सभी मामलों में, जिनमें सजा या दंडादेश ऐसे विषय संबंधी किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए दिया गया है जिस विषय तक संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है। यानी जिस विषय पर संसद को कानून बनाने का अधिकार हो।
(ग) उन सभी मामलों में, जिनमें सजा मृत्यु की है।
(2) खंड (1) के उपखंड (क) की कोई बात संघ के सशस्त्र बलों के किसी अफसर की सेना न्यायालय द्वारा पारित सजा को निलंबित करने, कम करने या खत्म करने की कानून द्वारा प्रदत्त शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।
(3) खंड (1) के उपखंड (ग) की कोई बात उस समय लागू किसी कानून के अधीन किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा मृत्यु की सजा निलंबित करने, कम करने या क्षमा देने की शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।
राज्यपाल का क्षमादान का अधिकार
अनुच्छेद 161 – किसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर उस राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए सिद्ध दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति की सजा को क्षमा करने, निलंबित करने, कम करने, रोकने या खत्म करने की शक्ति होगी।