प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया। यह नाम बांदा डिविज़न जेल में आज भी एक अलग रुतबा रखता है। यही वह जेल है जहां पर साल 2002-03 में राजा भैया को पोटा के तहत बंद रखा गया था। मगर यह राजा भैया का खौफ ही है कि आज भी कोई पुलिस ऑफिसर बुंदेलखंड की इस जेल में अपनी पोस्टिंग नहीं चाहता। 1,098 कैदियों वाली इस जेल में वैसे तो 110 पुलिकर्मियों की जरूरत है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस वक्त यहां सिर्फ 34 पुलिसकर्मी ही तैनात हैं।
कोई भी पुलिस ऑफिसर नहीं चाहता कि उसका ट्रांसफर बुंदेलखंड की बांदा जेल में हो जाए। अंग्रेजी अखबार डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक बांदा डिविज़न जेल में अभी एक जेलर, 3 डेप्युटी जेलर और 60 से ज्यादा वॉर्डन्स की पोस्ट्स साल 2003 से ही खाली पड़ी हैं। यह वह दौर था जब समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश की बागडोर संभाली थी। इसके बाद कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया मार्च 2012 में जेल मंत्री बने थे और उन्होंने तभी जेल के पुलिस स्टाफ को बढ़ाने की प्रपोजल को रिजेक्ट कर दिया था। अखिलेश सरकार ने न सिर्फ राजा भैया पर लगे तमाम केस वापस ले लिए थे, बल्कि उन्हें राज्य का फूड और सिविल सप्लाइज़ मिनिस्टर भी बना दिया था।
2007 से 2012 तक जब यूपी में मायावती की सरकार थी, उस वक्त भी एक दर्जन से ज्यादा ऑफिसर्स का ट्रांसफर बांदा जेल हुआ, लेकिन उनमें से कोई भी ड्यूटी जॉइन करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। पिछले साल राजा भैया ने जब जब अखिलेश सरकार में जेल मंत्री का पद संभाला, तब उन्होंने बांदा जेल का दौरा किया और वहां पर कैदियों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने जेल के स्टाफ बढ़ाने की प्रपोजल को रिजेक्ट कर दिया। आज आलम यह है कि जेल में बंद ददुआ और ठोकिया गैंग के कुख्यात आतंकियों को गार्ड करने के लिए मुट्ठी भर ही पुलिसवाले हैं।