पलवल । यमुना को निर्मल बनाने के उद्देश्य को लेकर वृंदावन से दिल्ली के लिए शुरू हुई यमुना मुक्तीकरण पदयात्रा छह दिन पूरे कर दिल्ली के करीब पलवल (हरियाणा) पहुंच चुकी है। कुछ राजनीतिक दलों ने यात्रा के आयोजकों को दिल्ली में दम दिखाने का भरोसा दे दिया है। इससे इस मुहिम के अगुआ संत रमेश बाबा और पदयात्रियों में आंदोलन को लेकर जोश है। हालांकि वे आंदोलन को राजनीतिक रूप देने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन यमुना को हथिनी कुंड बैराज से मुक्त कराने में जो भी सहयोग करेगा, उसका सहयोग लेंगे। वहीं, यात्रा में शामिल एक युवा संत डालचंद शास्त्री ने आमरण अनशन करने की घोषणा की है।
यमुना के नाम पर हर धर्म-जाति के लोग सहयोग के लिए तैयार हैं। इस हकीकत से वाकिफ भारतीय जनता पार्टी इस यात्रा का पूरा समर्थन कर रही है। साध्वी उमा भारती, ऋतंभरा और आगरा के भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया ने पदयात्रा में शामिल होकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वे दिल्ली पहुंचने पर दम दिखाएंगे। साथ ही अन्य कई दलों के नेताओं ने आयोजकों को दिल्ली पहुंचने पर पूरा समर्थन देने की बात कही है। संत रमेश बाबा के सहयोगी पंकज बाबा व अनुयायी महेश ने बताया कि उनके पास दिल्ली में समर्थन देने के लिए कई राजनीतिक दलों का प्रस्ताव आया है। लेकिन हम इस यात्रा को राजनीतिक रूप नहीं देना चाहते। हमारा उद्देश्य केवल यमुना को हथिनी कुंड बैराज से मुक्त कराना है।
मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने वार्ता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उसने गंभीरता नहीं दिखाई। उसकी वजह यह भी है कि सात मार्च को हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पलवल में कार्यक्रम है, इस दौरान मुख्यमंत्री स्तर पर ही इस मामले को निपटाए जाने की योजना है। लेकिन संत रमेश बाबा यह पहले ही कह चुके हैं जब तक सरकार उन्हें कोई ठोस पहल नहीं दिखाती है, वे यात्रा स्थगित करने वाले नहीं। यह आंदोलन जारी रहेगा। पदयात्रा के मुखिया संत रमेश बाबा अपने धाम में वापस लौट गए हैं, वे ब्रजधाम से बाहर नहीं जाते हैं। जब तक ब्रज चौरासी कोस के दायरे में पदयात्रा रही, वे साथ रहे। सीमा से बाहर निकलते ही उन्होंने पदयात्रा को अपने शिष्यों के हवाले कर दिया और दिल्ली में विजयी होने का मंत्र भी दिया।
आमरण अनशन की घोषणा करने वाले संत डालचंद शास्त्री ने बताया कि जब तक सरकार यमुना में पानी नहीं छोड़ती है, वह जल के सिवाय कुछ भी ग्रहण नहीं करेंगे। बुधवार को पलवल के गांव बामणी खेड़ा में पदयात्रियों का अभूतपूर्व स्वागत किया गया। यमुना बचाओ देश बचाओ के नारों से आकाश गूंज उठा। ग्रामीणों ने पदयात्रियों को फल खिलाकर अबीर-गुलाल लगाया और यमुना के लिए पूरा सहयोग देने का वादा किया।
जेल जाने को तैयार हैं आंदोलनकारी
यमुना मुक्तीकरण पदयात्रा के छठे दिन भी केंद्र सरकार का कोई प्रतिनिधि वार्ता के लिए न आने से आंदोलनकारियों में गुस्सा है। लेकिन उन्हें विश्वास है कि इस बार सरकार उनकी बात मानेगी। वे मांग न मानने पर जेल जाने के लिए भी तैयार हैं। यात्रा की मुख्य आयोजक यमुना रक्षक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत जय कृष्ण दास ने संभाल लिया है। दास ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा कि जब असम से मुंबई तक 3500 किलोमीटर तक पाइप लाइन बिछा कर तेल पहुंचाया जा सकता है, दिल्ली में 60 फुट नीचे जमीन खुदाई करके मेट्रो रेल चलाई जा सकती है, तो सरकारें 1150 किलोमीटर तक यमुना की शुद्धता के लिए ठोस कदम क्यों नहीं कर उठा सकती हैं।
65 पाल भोज में शामिल होंगे यमुना बचाओ के पदयात्री
पदयात्रियों के लिए गुरुवार का दिन काफी खास रहने की संभावना है। हरियाणा के पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल के 65 पालों के भोज कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल होने वाले हैं और पदयात्रियों को भी इसमें शामिल होने के लिए मना लिया गया है। पदयात्री मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपेंगे। अव्यवस्थाओं के बीच प्रशासन कोशिश में था कि पदयात्रियों को भी इस भोज में शामिल कर लिया जाए।
सात समुंदर पार से खींच लाई आस्था व पवित्रता
आस्था व यमुना की पवित्रता को वापस लाने के लिए उठी आवाज अरुणिमा (62)को सात समुंदर पार अमेरिका से हिंदुस्तान की सरजमीं पर निकली पदयात्रा में शामिल होने के लिए खींच लाई। अरुणिमा देवी की मूल रूप से जड़ें बिहार के मुजफ्फरपुर में हैं, पर चार दशक पूर्व वह अमेरिका चली गई थीं। पदयात्रा में एक मार्च से ही शामिल अरुणिमा ने बताया कि वह पूर्व में बाबा रमेश दास द्वारा पहाड़ों की लड़ाई के लिए हुए आंदोलन में भी भाग ले चुकी हैं और अमेरिका में रिलीजन फॉर पीस संगठन से भी जुड़ी हैं। अब जब उन्हें पता चला कि एक मार्च से 10 मार्च तक मथुरा से यमुना की शुद्धता के लिए पदयात्रा शुरू हो रही है, तो वह अपने आप को रोक नहीं पाई।