नई दिल्ली। महिला सुरक्षा विधेयक के नए ड्राफ्ट पर मंगलवार को कैबिनेट की विशेष बैठक हुई। लेकिन इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली है। इसे मंत्रिमंडल समूह के पास भेज दिया गया है। एंटी रेप बिल पर कैबिनेट में सहमति नहीं बन पाने के कारण फिलहाल फैसला टाल दिया गया है। कैबिनेट में बिल के कई बिंदुओं पर मतभेद नजर आए। सहमति ना बन पाने के कारण इसे मंत्री समूह यानी जीओएम को भेज दिया गया है। 14 मार्च को इस मसले पर जीओएम की बैठक में फैसला होगा। जीओएम में चर्चा के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। वित्त मंत्री की अध्यक्षता में बने जीओएम में कानून मंत्री और गृहमंत्री होंगे। इसमें महिला कल्याण मंत्री भी होंगी।
बताया जा रहा था कि इस विधेयक की कुछ बातों पर मंत्रालयो के बीच मतभेद थे, जिसे सरकार ने सुलझा लिया है। नये ड्राफ्ट में यौन संबध के लिए सहमति की उम्र 18 से घटाकर 16 कर दी गयी है। इस विधेयक को महिलाओं के पक्ष में बनाया गया है और जेंडर न्यूट्रल शब्द हटा दिया गया है। बलात्कार की परिभाषा में हर तरह का यौन शौषण शामिल किया गया है।
केंद्र सरकार 16 साल के बच्चों के आपसी सहमति से यौन संबंधों को वैध करने जा रही है। सरकार कानून में आपसी सहमति से यौन संबंध कायम करने की उम्र 18 से घटाकर 16 करना चाहती है। सरकार का कहना है कि इससे यौन अपराधों में कमी आएगी। लेकिन खुद कांग्रेस के ही अधिकांश सांसदों ने इसे बचकाना फैसला बताया है।
नए प्रस्ताव में देश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि वे यौन हिंसा के किसी भी रूप की शिकार बनी महिलाओं को मुफ्त मेडिकल इलाज मुहैया कराएंगे। अस्पतालों या ऐसी ही संस्थाओं को पुलिस का इंतजार नहीं करना है। वे पुलिस को सूचित करने के तुरंत बाद इलाज शुरू कर सकते हैं। इनसे इनकार करना अपराध होगा जिसके लिए एक साल तक की सजा हो सकती है।