नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विरासत राहुल गांधी के साथ-साथ प्रियंका गांधी भी संभालेंगी। इस साल जनवरी की शुरुआत में जयपुर चिंतन शिविर से राहुल उपाध्यक्ष बनकर औपचारिक रूप से पार्टी में नंबर दो बनकर उभर चुके हैं। अभी तक खुद को सक्रिय राजनीति से दूर किए प्रियंका लोकसभा चुनाव तक खुलकर अपनी भूमिका संभाल लेंगी। प्रबल संकेत हैं कि जिस तरह सोनिया ने पहले राहुल के लिए अमेठी लोकसभा सीट छोड़ी थी, इस दफा प्रियंका अपनी मां की मौजूदा रायबरेली संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगी। यानी बेटे को पति की विरासत सौंप चुकी सोनिया ने सास इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रायबरेली को बेटी प्रियंका के हवाले कर दिया है।
सोनिया के संसदीय सीट की प्रतिनिधि के रूप में इस पूरे इलाके में प्रियंका ने लोस चुनाव लड़ने से पहले अपनी ‘फौज’ न सिर्फ तैयार कर ली है, बल्कि उसे मैदान पर भी उतार दिया है। अप्रैल से रायबरेली के हर गांव, ब्लाक व तहसील स्तर पर कार्यकर्ता ‘कांग्रेस आपके द्वार’ कार्यक्रम शुरू कर देंगे। प्रियंका की जमीन पुख्ता करने का काम बिना शोर मचाए, बेहद सुविचरित ढंग से किया गया है।
राहुल गांधी उपाध्यक्ष बनने के बाद सबकी सुनकर रणनीति बनाने का जो काम राष्ट्रीय स्तर पर कर रहे हैं, उसका रिहर्सल वास्तव में प्रियंका रायबरेली में कर चुकी हैं। उन्होंने जिले के सभी 16 ब्लाकों के पार्टी अध्यक्षों के साक्षात्कार लिए और फार्म भरवाकर नियुक्ति की। पांच-छह ग्राम पंचायतों को मिलकर बनने वाली न्याय पंचायत अध्यक्षों के स्तर तक के चुनाव खुद किए। अब यह पूरी टीम तैयार हो गई है तो बाकायदा इनका प्रशिक्षण चल रहा है।
पिछले दिनों दिल्ली में राजीव गांधी फाउंडेशन भवन में रायबरेली जिला कांग्रेस कमेटी के 31 सदस्यों, प्रदेश कमेटी में शामिल जिले के लोगों समेत कुल 45 लोगों को सूचना अधिकार कानून के बारे में अरुणा राय के सहायक शंकर ने प्रशिक्षित किया। 17 से 21 मार्च तक रायबरेली और अमेठी सीमा स्थिति राजीव गांधी फाउंडेशन के अतिथिगृह में न्याय पंचायत सदस्यों को पांच दिन तक प्रशिक्षित किया गया। पहले दिन तो प्रियंका खुद रहीं। इस दौरान सलमान खुर्शीद और सुरेश पचौरी के अलावा योजना आयोग के सदस्य प्रोफेसर मिहिर शाह यहां आए और कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाने के गुर सिखाए।
सोनिया के क्षेत्र का पूरा जिम्मा संभाल रहीं प्रियंका ने पिछले साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में रायबरेली संसदीय क्षेत्र की पांचों सीटों पर कांग्रेस के परास्त होने को चुनौती की तरह लिया। नेताओं- कार्यकर्ताओं में संवादहीनता को सबसे बड़ी समस्या मानते हुए उन्होंने एक साल में यहां का पूरा संगठन खड़ा कर लिया। रायबरेली से अगला चुनाव लड़ने के उन्हें संकेत पहले ही मिल चुके थे।
गांधी परिवार के बेहद करीबी एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक ‘सोनिया ने रायबरेली को प्रियंका के हवाले कर दिया है।’ हालांकि, इस पर कोई मुंह नहीं खोल रहा है। अजूबा नहीं है कि सीधे नामांकन के वक्त ही इस बात को औपचारिक किया जाए कि प्रियंका रायबरेली से चुनाव लड़ने जा रही हैं। सभी कार्यकर्ताओं-नेताओं को गोपनीयता बरतने को कहा जा रहा है। यहां तक कि रायबरेली में पांच दिन हुई बैठक में प्रियंका की फोटो जारी करने पर भी नेताओं को उनकी नाराजगी झेलनी पड़ी।