जयपुर.प्रदेश के निजी स्कूलों ने अगर मनमानी फीस वसूली तो संचालकों को एक से तीन साल तक की जेल और 50 हजार रुपए तक का जुर्माना भरना होगा। सरकार ने फीस नियंत्रित करने के लिए सोमवार को विधानसभा में बिल पेश किया है।
यह विधेयक इसी सत्र में पारित होगा। राजस्थान विद्यालय (फीस के संग्रहण का विनियमन) विधेयक 2013 नामक बिल में दोषी स्कूलों की मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान है। छह सदस्यी कमेटी फीस तय करेगी और अगर किसी स्कूल ने ज्यादा फीस वसूली है तो उसे सरप्लस राशि लौटानी होगी।
छह सदस्यीय कमेटी तय करेगी फीस
>हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी बनेगी। जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, संस्कृत शिक्षा निदेशक, पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर भवन और स्कूल शिक्षा के उपसचिव सदस्य होंगे।
>कमेटी तीन साल के लिए फीस तय करेगी। जिला स्तर पर भी समिति बनेगी। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी या समान रैंक के अफसर होंगे।
>स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर, लोकेशन और खर्चो के आधार पर फीस तय होगी। समिति का फैसला अंतिम होगा।
>स्कूल 30 दिन में समिति के समक्ष आपत्ति फाइल कर सकेंगे।
> राज्यस्तरीय समिति को सिविल कोर्ट के अधिकार होंगे। वह स्कूल का निरीक्षण करेगी और रिकॉर्ड जांचेगी। दोषी स्कूलों पर सजा तय करेगी।
दूसरे प्रदेशों में 10% बढ़ोतरी का प्रावधान
गुजरात : सालाना 10% से ज्यादा फीस नहीं बढ़ाने का प्रावधान। डेवलपमेंट व कैपिटेशन फीस नहीं वसूली जाती।
चंडीगढ़ : फीस बढ़ोतरी संबंधी मामला कोर्ट में विचाराधीन है। एक साल से फीस वृद्धि नहीं। वैसे सालाना 5 से 10% बढ़ोतरी की छूट है।
मध्यप्रदेश : रेग्यूलेशन कमेटी के गठन की तैयारियां चल रही हैं।