लखनऊ। शिक्षकों के परीक्षा बहिष्कार को दरकिनार कर लखनऊ विश्वविद्यालय निर्धारित तारीख से ही परीक्षाएं कराएगा। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह शिक्षकों की मांग के साथ है लेकिन छात्रों के भविष्य से नहीं खेला जा सकता। गतिरोध समाप्त करने के लिए कुलपति ने भी शुक्रवार को शिक्षक संगठनों से बात की। हालांकि, लविवि प्रशासन ने कक्ष निरीक्षकों आदि की जरूरत पूरी करने की वैकल्पिक व्यवस्था शुरू कर दी है। लूटा की आमसभा की फिर से हो रही बैठक ने भी विश्वविद्यालय के लिए उम्मीद की किरण जगाई है।
लविवि की वार्षिक परीक्षाएं चार मार्च से शुरू होंगी। इसके लिए 47 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इसमें 18 परीक्षा केंद्र अनुदानित कॉलेजों में बने हैं। लुआक्टा का परीक्षा बहिष्कार जारी रहा तो इन कॉलेजों में परीक्षाएं प्रभावित होने की संभावना है। हालांकि, इनमें भी आधा दर्जन से अधिक कॉलेजों में परीक्षाओं में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शिक्षकों का सहयोग मिल जाएगा। सारी कवायद लगभग एक दर्जन परीक्षा केंद्रों की है।
लुआक्टा के अड़े रहने की स्थिति में यहां कक्ष निरीक्षकों की समस्या आएगी। जिम्मेदारों ने इसका रास्ता स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के जरिए निकाल लिया है। लविवि प्रशासन ने भी कॉलेजों से साफ कह दिया है कि यदि आपको मैनपावर की कमी हो तो उन्हें सूचित करें। इसकी व्यवस्था विश्वविद्यालय कराएगा। ऐसे में लविवि के 60 स्ववित्तपोषित कॉलेजों, जो परीक्षा केंद्र नहीं हैं, के शिक्षकों के इस्तेमाल का विकल्प खुला है। अहम बात यह भी है कि पहले दिन की परीक्षाओं का कार्यक्रम देखें तो लविवि को व्यवस्था में बहुत दिक्कत नहीं आने वाली है। बीए में एंथ्रोपोलॉजी, एशियन कल्चर, अरब कल्चर आदि विषयों की परीक्षा है। बहुत से कॉलेजों में यह विषय पढ़ाए ही नहीं जाते इसलिए छात्र संख्या काफी कम है। साइंस में जरूर पहले दिन फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोटेक और जियोलॉजी की परीक्षाएं है लेकिन इनमें भी छात्र संख्या सीमित ही है। इस आधार पर एक दर्जन कॉलेजों के लिए लगभग 120-150 कक्ष निरीक्षकों की जरूरत होगी। इसके लिए स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के शिक्षक ही पर्याप्त होंगे। शुक्रवार को लविवि के कॉलेजों में प्रवेश-पत्र पहुंच गए और उनका वितरण भी शुरू हो चुका है।