छह साल पहले बिलासपुर जिला पंचायत सीईओ द्वारा करीब 154 करोड़ की राशि जनपद के बजाए सीधे ग्राम पंचायत को देने का मामला शुक्रवार को विधानसभा में जोर शोर से उठा। पंचायत मंत्री हेमचंद यादव ने आश्वासन दिया की दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
बिलासपुर में 6 साल पहले तत्कालीन सीईओ द्वारा मनरेगा के मद की 154 करोड़ की राशि जनपदों की बजाय सीधे ग्राम पंचायतों को दे दी गई थी। सत्तापक्ष के विधायक देवजी भाई पटेल ने यह मामला उठाते हुए मंत्री के सामने सवालों की झड़ी लगा दी। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री दोषी अधिकारी को बचा रहे हैं।
पंचायत मंत्री हेमचंद यादव ने स्वीकार किया कि इस मामले में केंद्र सरकार के नियम का उल्लंघन हुआ है। इस मामले में सभी बिंदुओं पर जांच कराई जाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
उन्होंने कहा कि कार्य की अधिकता एवं शीघ्र भुगतान के चलते राशि पंचायतों को दी गई है। पंचायतों से उपयोगिता प्रमाण पत्र भी लिए गए। काम में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है। मंत्री ने कहा कि 91 ग्राम पंचायतों से पैसा वापस भी ले लिया गया है।
इस पर भाजपा सदस्य देवजी भाई पटेल ने कहा कि मंत्री गलत जानकारी देकर लीपापोती का प्रयास कर रहे हैं, इस मामले में उनके पास सारे दस्तावेज है। इसमें से 16 करोड़ की राशि का हिसाब नहीं मिल रहा है, केवल 5 करोड़ ही सरपंचों के खाते से राशि जब्त की गई है, इसके कारण ऑडिट नहीं हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे ने भी हस्तक्षेप करते हुए कहा कि मामला गंभीर है। उन्होंने कहा इस मामले में बड़े अधिकारियों के शामिल होने के कारण क्या कार्रवाई नहीं होगी?