उत्तर प्रदेश में पुलिस उपाधीक्षक की हत्या मामले में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने कहा है कि मुख्यमंत्री अगर कहें तो वह जेल जाने को तैयार हैं.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक पुलिस उपाधीक्षक की हत्या मामले में आरोपी मंत्री राजा भैया ने सीबीआई जांच की मांग की है.
पुलिस उपाधीक्षक हत्या मामले में आरोप लगने के बाद राज्य के खाद्य एवं रसद मंत्री के पद से सोमवार को इस्तीफा देने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने वारदात की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि सूबे की सपा सरकार को शर्मसार होने से बचाने के लिये वह जेल जाने को तैयार हैं.
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कार्यस्थगन की अलग-अलग सूचनाओं के जरिये मामला सामने लाये जाने पर राजा भैया ने कहा, ‘‘अगर मुख्यमंत्री निर्देश दें तो मैं यहीं से सीधे जेल जा सकता हूं. मेरा सरकार को शर्मिदा रखने का कोई इरादा नहीं है.’’
राजा भैया ने कहा, ‘‘अगर मुख्यमंत्री निर्देश दें तो मैं यहीं से सीधे जेल जा सकता हूं. मेरा सरकार को शर्मिदा रखने का कोई इरादा नहीं है.’’
उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र कुंडा में भीड़ द्वारा पुलिस उपाधीक्षक जिया-उल-हक की हत्या के मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की.
राजा भैया ने कहा ‘‘मैंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव या सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से कभी कुछ नहीं मांगा, क्योंकि मुझे बिना मांगे ही मिल गया. लेकिन आज मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दीजिये.’’
घटनाक्रम का जिक्र करते हुए राजा भैया ने एक दल विशेष के सभासद पर कुंडा में हुई उस ‘अति दुर्भाग्यपूर्ण’ वारदात के लिये प्रकरण में उन्हें जिम्मेदार ठहराकर उनकी गिरफ्तारी की मांग करके मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया.
पुलिस में दर्ज अपनी नामजदगी वाली रिपोर्ट के बारे में निर्दलीय विधायक ने कहा कि उस रपट में कई खामियां हैं और उसमें नामजद कई लोग वारदात के वक्त मौके पर नहीं थे. लिहाजा, अगर इस रिपोर्ट को आधार माना गया तो मृतक पुलिस अफसर और उनके परिवार को कभी न्याय नहीं मिल सकेगा.
राजा भैया ने दर्ज रिपोर्ट में नामजद दो लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि उनमें से एक की तबीयत इतनी खराब है कि वह चल-फिर भी नहीं सकता, जबकि दूसरा आरोपी वारदात के दिन मुख्यमंत्री से मुलाकात के वक्त उनके साथ मौजूद था.
निर्दलीय विधायक ने दावा किया कि उन्होंने वारदात की जानकारी देने के लिये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उस वक्त मुलाकात की थी जब राज्य के पुलिस महानिदेशक समेत तमाम आला अफसरों को घटना की जानकारी नहीं थी.
पुलिस द्वारा अफसर जिया-उल-हक की हत्या से पहले दो गुटों के बीच संघर्ष में मारे गये ग्राम प्रधान नन्हें यादव के शव को अस्पताल से घर ले जाने की इजाजत दिये जाने को गलती मानते हुए उन्होंने कहा कि प्रधान के भाई सुरेश की मौत कुंडा के थानाध्यक्ष द्वारा चलायी गोली लगने से हुई. इसके बाद दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में जिया-उल-हक की मृत्यु हो गयी.
शहीद हुए पुलिस उपाधीक्षक को बेहद शांत और अच्छे स्वभाव का अफसर बताते हुए राजा भैया ने जिया-उल-हक से बदला लेने की नीयत रखने के आरोपों को गलत ठहराया.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर मेरा उनसे (जिया-उल-हक) से कोई झगड़ा होता तो मैं आसानी से उनका तबादला करवा सकता था. उनकी हत्या कराने की क्या जरूरत थी.’’
राजा भैया ने कहा ‘‘जो लोग मुझे पद से हटवाने के लिये दिन-रात एक किये रहते हैं वे आखिरकार अपने मकसद में कामयाब रहे.’’
इसके पूर्व, कुंडा में हुई वारदात के मामले में सरकार की तरफ से बयान देते हुए संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने कहा कि इस घटना से सरकार को गहरा धक्का लगा है. उन्होंने समाज में बढ़ती गैर जिम्मेदारी, हैवानियत और बगावत पर अंकुश लगाने के लिये विपक्षी दलों से सहयोग की अपील की.
खां ने कहा कि शहीद हुए पुलिस उपाधीक्षक के साथियों ने उन्हें दगा दिया. ऐसे कायर लोग जिन्होंने अपने कमांडर को मरने के लिये छोड़ दिया, उन्हें सेवा में रहने का कोई हक नहीं है. उन्हें बर्खास्त कर दिया जाना चाहिये.
उन्होंने कहा कि पुलिस की हनक कैसे बरकरार रहनी है, यह तो गृह विभाग और पुलिस को खुद तय करना है.
खां ने कहा कि पुलिस में दर्ज रिपोर्ट नामजद अभियुक्तों में से दो को तो गिरफ्तार कर लिया गया है, बाकी लोगों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.