ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। कभी देश की महत्वपूर्ण हस्तियां बांद्रा स्थित बाल ठाकरे निवास मातोश्री की परिक्रमा करने जाया करती थीं, अब परिक्रमाका केंद्र दादर का राज ठाकरे निवास कृष्णाकुंज बन गया है।
पिछले सप्ताह टाटा समूह के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ने कृष्णाकुंज जाकर करीब डेढ़ घंटे राज ठाकरे के साथ बिताए थे। जबकि मंगलवार की रात करीब 11 बजे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी भी राज से मिलने कृष्णाकुंज जा पहुंचे।
इससे पहले मुंबई में अमरीकी वाणिज्य दूतावास के लोग भी राज ठाकरे से मिलने उनके घर जा चुके हैं। दादर के शिवाजी पार्क के ठीक सामने स्थित कृष्णाकुंज में बढ़ी इस आवाजाही ने अचानक महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का वजन बढ़ा दिया है। यह माना जाने लगा है कि भविष्य की राजनीति का रुख भांप कर ही लोग राज ठाकरे को महत्व दे रहे हैं। जबकि अभी मुंबई विधानसभा में राज की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सिर्फ 12 विधायक हैं।
भारतीय उद्योग जगत में टाटा समूह अपने नैतिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। राजनेताओं के दरवाजे पर हाजिरी बजाते इस समूह को कभी नहीं देखा गया। यहां तक कि बाल ठाकरे के पूरे जीवनकाल में रतन टाटा उनके निवास मातोश्री पर कभी नहीं गए। अब टाटा समूह के औपचारिक प्रमुख का पद छोड़ने के बाद उनका कृष्णाकुंज जाना कई कयासों को जन्म दे रहा है। इन्हीं में से एक कयास टाटा समूह के पुन: वैमानिकी व्यवसाय में उतरने को लेकर लगाया जा रहा है। नए व्यवसाय में टाटा समूह को बड़े पैमाने पर नियुक्तियां करनी होंगी ।
समूह कभी नहीं चाहेगा कि अच्छे कर्मचारियों की नियुक्ति में भाषा और प्रांतवाद को लेकर कोई अवरोध खड़ा हो। संभवत: इसीलिए टाटा ने समय रहते राज ठाकरे से रिश्ते मजबूत करना बेहतर समझा होगा।
मंगलवार की रात नितिन गडकरी का कृष्णाकुंज जाना भी अनायास नहीं माना जा सकता। गडकरी के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। दूसरी ओर राज ठाकरे एक-दो दिन में ही गडकरी के विदर्भ क्षेत्रमें जाकर अपनी राजनीतिक रैलियां करने वाले हैं। राज ठाकरे अब तक जिस-जिस क्षेत्र में रैलियां करने पहुंचे हैं, वहां के छत्रपों की बखिया उधेड़ते रहे हैं। सिंचाई घोटाले में लिप्त रहा पवार परिवार भी राज के निशाने पर रहा है। चूंकि नितिन गडकरी के भी पवार से मधुर संबंध रहे हैं। विदर्भ की रैलियों में भाषण देते समय राज ठाकरे पवार के साथ गडकरी को भी लपेट सकते थे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद गडकरी के प्रति राज का रुख नरम रह सकता है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। कभी देश की महत्वपूर्ण हस्तियां बांद्रा स्थित बाल ठाकरे निवास मातोश्री की परिक्रमा करने जाया करती थीं, अब परिक्रमाका केंद्र दादर का राज ठाकरे निवास कृष्णाकुंज बन गया है।
पिछले सप्ताह टाटा समूह के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ने कृष्णाकुंज जाकर करीब डेढ़ घंटे राज ठाकरे के साथ बिताए थे। जबकि मंगलवार की रात करीब 11 बजे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी भी राज से मिलने कृष्णाकुंज जा पहुंचे।
इससे पहले मुंबई में अमरीकी वाणिज्य दूतावास के लोग भी राज ठाकरे से मिलने उनके घर जा चुके हैं। दादर के शिवाजी पार्क के ठीक सामने स्थित कृष्णाकुंज में बढ़ी इस आवाजाही ने अचानक महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का वजन बढ़ा दिया है। यह माना जाने लगा है कि भविष्य की राजनीति का रुख भांप कर ही लोग राज ठाकरे को महत्व दे रहे हैं। जबकि अभी मुंबई विधानसभा में राज की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सिर्फ 12 विधायक हैं।
भारतीय उद्योग जगत में टाटा समूह अपने नैतिक मूल्यों के लिए जाना जाता है। राजनेताओं के दरवाजे पर हाजिरी बजाते इस समूह को कभी नहीं देखा गया। यहां तक कि बाल ठाकरे के पूरे जीवनकाल में रतन टाटा उनके निवास मातोश्री पर कभी नहीं गए। अब टाटा समूह के औपचारिक प्रमुख का पद छोड़ने के बाद उनका कृष्णाकुंज जाना कई कयासों को जन्म दे रहा है। इन्हीं में से एक कयास टाटा समूह के पुन: वैमानिकी व्यवसाय में उतरने को लेकर लगाया जा रहा है। नए व्यवसाय में टाटा समूह को बड़े पैमाने पर नियुक्तियां करनी होंगी ।
समूह कभी नहीं चाहेगा कि अच्छे कर्मचारियों की नियुक्ति में भाषा और प्रांतवाद को लेकर कोई अवरोध खड़ा हो। संभवत: इसीलिए टाटा ने समय रहते राज ठाकरे से रिश्ते मजबूत करना बेहतर समझा होगा।
मंगलवार की रात नितिन गडकरी का कृष्णाकुंज जाना भी अनायास नहीं माना जा सकता। गडकरी के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। दूसरी ओर राज ठाकरे एक-दो दिन में ही गडकरी के विदर्भ क्षेत्रमें जाकर अपनी राजनीतिक रैलियां करने वाले हैं। राज ठाकरे अब तक जिस-जिस क्षेत्र में रैलियां करने पहुंचे हैं, वहां के छत्रपों की बखिया उधेड़ते रहे हैं। सिंचाई घोटाले में लिप्त रहा पवार परिवार भी राज के निशाने पर रहा है। चूंकि नितिन गडकरी के भी पवार से मधुर संबंध रहे हैं। विदर्भ की रैलियों में भाषण देते समय राज ठाकरे पवार के साथ गडकरी को भी लपेट सकते थे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद गडकरी के प्रति राज का रुख नरम रह सकता है।