मुंबई/बेंगलुरु।। धमाकेदार शुरुआत के बाद आईआईएम का प्लेसमेंट ठंडा पड़ गया है। इस साल इन संस्थानों पर स्लोडाउन की मार देखने को मिल रही है। एक तरफ टॉप बी-स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी है वहीं दूसरी तरफ इकनॉमिक ग्रोथ सुस्त हुई है। इसका असर प्लेसमेंट पर पड़ा है।
पुराने और नई दोनों आईआईएम पर दबाव देखने को मिला है। इन संस्थानों में अब तक 5-15 फीसदी स्टूडेंट्स को अभी जॉब ऑफर्स नहीं मिले हैं। आईआईएम संस्थानों के प्लेसमेंट सर्किल के मुताबिक, भर्ती में सुस्ती की कई वजहें हैं। ज्यादातर कंपनियों ने भर्ती के आंकड़े घटा दिए हैं और ज्यादा से ज्यादा कंपनियों तक पहुंचने के बावजूद 13 आईआईएम संस्थानों के 2,800 स्टूडेंट्स में प्लेसमेंट में दिक्कत आ रही है।
आईआईएम कलकत्ता के चेयरपर्सन कृषाणु रक्षित ने बताया, ‘इस बार सभी आईआईएम को अपने प्लेसमेंट में दिक्कत पेश आई। सबसे पुराने आईआईएम ने अपना फाइनल प्लेसमेंट 3 मार्च को शुरू किया, लेकिन अब भी संस्थान के 462 लोगों के बैच में 5 फीसदी स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट बाकी है।’ पिछले साल यानी 2012 में संस्थान ने महज 4 दिनों में सभी 350 स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट हो गया था। रक्षित ने बताया, ‘अगर हमारे यहां स्टूडेंट्स की संख्या पिछले साल इतनी ही होती तो हमारे सभी स्टूडेंट्स को तीसरे या चौथे दिन प्लेसमेंट मिल जाता। अंतिम 100 छात्रों को मुश्किल हो रही है।’
आईआईएम लखनऊ में जहां पिछले साल 380 स्टूडेंट्स थे, वहीं इस बार यह संख्या बढ़कर 430 हो गई है। यहां की प्लेसमेंट कमेटी के एक सदस्य ने बताया, ‘हम हमेशा अपना फाइनल प्लेसमेंट एक हफ्ते के भीतर खत्म कर लेते थे, लेकिन इस साल यह अब भी चल रहा है। बैच के तकरीबन 10 फीसदी लोगों को जॉब मिलनी अब भी बाकी है।’ उन्होंने बताया, ‘हमारा अगला बैच 460 लोगों का है और हम अब इसे और नहीं बढ़ा सकते। इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉबलम नहीं है, लेकिन निश्चित तौर पर प्लेसमेंट बड़ी समस्या बन गई है।’
आईआईएम काशीपुर की प्लेसमेंट कमेटी के चेयरपर्सन द्वारिका प्रसाद उनियाल के मुताबिक, सारी मुश्किल की जड़ नंबर्स हैं। उन्होंने बताया, ‘कुछ साल पहले के उलट हम हमारे पास 13 आईआईएम हैं और सभी की बैच साइज बढ़ गई है।’ अगर हम नए आईआईएम की बात करें तो बाकी के मुकाबले आईआईएम रोहतक की स्थिति बेहतर है। यहां की प्लेसमेंट कमेटी के सदस्य गौरव ठाकुर ने बताया, ‘हमने प्लेसमेंट की शुरुआत दिसंबर के आखिर में की है और अब काफी कम स्टूडेंट्स की भर्ती होनी बाकी है।’