इंटरनेट सर्च इंजन कंपनी गूगल ने पहली बार टचस्क्रीन लैपटॉप बाजार में उतारा है। इस लैपटॉप में गूगल के क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है जिसके ज्यादातर हिस्से को खुद गूगल ने बनाया है।
गूगल के इस नए लैपटॉप में इंटेल का प्रोसेसर लगाया गया है। इसके अलावा इसमें 4-जी कनेक्टिविटी का प्रयोग किया गया है और लैपटॉप के स्क्रीन का रेजोल्यूशन भी काफी उच्च स्तर का है।
गूगल ने इन ढेर सारी खूबियों वाले टचस्क्रीन लैपटॉप को बाजार में उतारकर दरअसल ऐपल के लैपटॉप को चुनौती देने का फैसला किया है।
कंप्यूटर तकनीक के विशेषज्ञों का कहना है कि गूगल के इस नए क्रोमबुक से माइक्रोसॉफ्ट और ऐपल ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाली मशीनों को कड़ी चुनौती मिलेगी।
गूगल ने बीबीसी को इस बारे में और जानकारी देते हुए कहा कि दुनिया भर में निर्मित अलग-अलग हिस्सों की मदद से इस नए उपकरण को मुख्य रूप से गूगल ने ही बनाया है।
गूगल के लैपटॉप का डिस्प्ले ऐपल लैपटॉप के रेटिना डिस्प्ले जैसा ही है। गूगल के मुताबिक इस नए क्रोमबुक का पिक्सेल घनत्व (239 पिक्सेल प्रति इंच) बाजार में इस समय मौजूद किसी भी लैपटॉप की तुलना में सबसे अधिक है।
गूगल की नई चुनौती
गूगल का कहना है कि 43 लाख पिक्सेल की मदद से इस लैपटॉप में टेक्स्ट और तस्वीरें बिल्कुल साफ और जीवंत दिखेंगी।
सबसे पहले सैमसंग ने जून 2011 में क्रोम तकनीक से बना लैपटॉप बाजार में उतारा था। उसके बाद एसर, लेनोवो और एचपी ने भी क्रोम टचस्क्रीन लैपटॉप लांच किया।
सॉफ्टवेयर कंपनी सीसीएस के विश्लेषक जोफ ब्लेबर का कहना है कि क्रोम लैपटॉप अब तक विंडोज से निर्मित कंप्यूटर को चुनौती देने में सफल नहीं हो पा रहे थे।
ब्लेबर के अनुसार, क्रोम लैपटॉप को एंड्रॉयड आधारित टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के बीच में अपनी प्रासंगिकता को स्थापित करने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है।
गूगल के इस नए कंप्यूटर से ऐसा नहीं है कि क्रोम टचस्क्रीन लैपटॉप की उपयोगिता एक दम से बढ़ जाएगी लेकिन गूगल को उम्मीद है कि ये नया लैपटॉप बाजार में उसके सबसे प्रमुख उपकरण के तौर पर देखा जाएगा जिससे कंपनी को बहुत लाभ होगा।
पिछले साल लांच किए गए माइक्रोसॉफ्ट के सबसे नए ऑपरेटिंग सिस्टम, विंडोज-8 में भी टचस्क्रीन सुविधाएं हैं। ब्लेबर के अनुसार फ़ोन से लेकर पीसी तक टचस्क्रीन की तकनीक अब हर उपकरण में देखी जा सकती है।