11 ट्रेड यूनियनों द्वारा देश भर में हो रही हड़ताल से अर्थव्यवस्था को 20 हजार करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने श्रमिक संगठनों से दो दिन की आम हड़ताल को वापस लेने की अपील की है।
संगठन ने कहा है कि पहले से ही मंदी से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था हड़ताल से और कमजोर होगी। एसेचैम के मुतबिक, हड़ताल से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी और 15,000 से 20,000 करोड़ रुपए के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का नुकसान होने की अशंका है।
गौरतलब है कि 11 ट्रेड यूनियनों की ओर से बुलाई गई इस हड़ताल से कई राज्यों में परिवहन और बैंकिंग सेवाएं ठप हो गई हैं, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आशंका है कि दो दिन की हड़ताल से बैंकों में 80 लाख चेकों का भुगतान अटक सकता है, जिससे लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन प्रभावित हो सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की खराब हालत के मद्देनजर तमाम आर्थिक संगठनों ने हड़ताल को गैरजरूरी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान की आशंका है।
एसोचैम के के अध्यक्ष राजकुमार धूत का कहना है कि अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण हालात से गुजर रही है। ऐसे में हड़ताल जीडीपी पर बड़ा असर डालेगी। उद्योग संगठन फिक्की का कहना है कि ट्रेड यूनियनों की चिंताओं का समाधान हड़ताल के जरिए नहीं हो सकता है।
एसोचैम का कहना है कि पहले से ही नरमी से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था इस में हड़ताल हुई तो यह और कमजोर होगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि की दर पिछले एक दशक में सबसे कम (5 प्रतिशत) रह जाने का अनुमान है।
पिछले वर्ष आर्थिक वृद्धि 6.2 प्रतिशत रही थी। उल्लेखनीय है कि सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों और लगातार उच्चस्तर पर बनी महंगाई के कारण देश के सभी प्रमुख ट्रेड यूनियन आज से दो दिनों की देशव्यापी हड़ताल पर चले गए हैं
एसोचैम अध्यक्ष धूत ने कहा कि हड़ताल में सभी प्रमुख ट्रेड यूनियनों के शामिल होने के कारण बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, पर्यटन और परिवहन क्षेत्र पर ही सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है। हड़ताल का पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश पर ज्यादा असर पड़ने की आशंका है। एसोचैम ने सरकार से अपील की है कि वह तुरंत श्रमिक संगठनों के साथ बातचीत कर उनकी मांगों को समाधान करने की कोशिश करे।
कैसे होगा हड़ताल से नुकसान
इस हड़ताल से जीडीपी को होने वाले नुकसान का अनुमान जीडीपी में एक दिन में होने वाले 30 से 40 प्रतिशत नुकसान के आधार पर लगाया जा रहा है। केन्द्रीय साख्यिकी संगठन के अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 95 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
इसके अनुसार रोजाना जीडीपी 26,000 करोड़ रुपए और दो दिन में 52,000 करोड़ रुपए बैठती है। ऐसे में हड़ताल से यदि 30 से 40 प्रतिशत दैनिक कारोबार का नुकसान होता है तो दो दिन की हड़ताल से कुल मिलाकर 15,000 से 20,000 करोड़ रुपए जीडीपी का नुकसान होगा।