नई दिल्ली रेल बजट में हमेशा की तरह वादों की झड़ी फिर लगेगी, लेकिन आम लोगों की नजर नए रेल मंत्री की उन घोषणाओं पर रहेगी जिससे रेल यात्रा के दौरान वह दशकों से जूझ रहे हैं। यह जानते हुए भी कि पिछले वादे आज भी सपने ही बने हैं। बुक-ए-मील योजना एक कदम भी नहीं बढ़ी और ट्रेन में खाने की शिकायत करने वाले यात्रियों की संख्या बराबर बढ़ रही है। खाना महंगा तो है ही, साथ में उस हिसाब से उसकी गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। इसमें सुधार के लिए पिछले बजट में जो योजनाएं बनी थीं, वह ट्रेन की लेटलतीफी की तरह परवान नहीं चढ़ पाई।
पिछले बजट में केंद्रीय रेल मंत्रालय ने यात्रियों को बुक-ए-मील योजना का आश्वासन दिया था। इसके तहत ट्रेन में बेहतर खाने की सुविधा ऑन डिमांड मुहैया करानी थी। यात्री सिर्फ मोबाइल से एसएमएस या ई-मेल से पसंद का खाना मंगा सकते थे। इतना ही नहीं, क्षेत्रीय व्यंजन उपलब्ध कराने का भी दावा किया गया था। इसके तहत रेलवे को किफायती दरों पर क्षेत्रीय भोजन की शुरुआत करनी थी, लेकिन इस योजना को भी पंख नहीं लग सके। इतना जरूर हुआ कि जनता मील के मूल्य को जरूर बढ़ा दिया गया। रेलमंत्री के बदलते ही 10 रुपये में परोसे जाने वाली पूड़ी-सब्जी 15 रुपये में मिलने लगी।
मनोरंजन की सुविधा नहीं मिली रेलवे हाईटेक होने के दावे तो करता है, लेकिन बतौर पायलट प्रोजेक्ट ट्रेन में शुरू होने वाले इंटरनेट सिस्टम की शुरुआत अभी तक नहीं हो सकी। रेलवे के ही दो विभागों की आपसी खींचतान से शताब्दी ट्रेन में लाइव प्रसारण के माध्यम से चैनल पर मनोरंजन का लुत्फ भी यात्री नहीं उठा सके। गत वर्ष रेल बजट में यह घोषणा की गई थी कि प्रयोग के तौर पर हावड़ा-राजधानी ट्रेन में इंटरनेट की सुविधा दी जाएगी। बाद में इसे सभी राजधानी ट्रेन में शुरू कर दिया जाएगा। इसी तरह शताब्दी ट्रेन में 80 चैनलों के प्रसारण की बात करें तो इसे कालका शताब्दी में बतौर पॉयलट प्रोजेक्ट शुरू तो किया गया, लेकिन दो विभाग के चक्कर में यह योजना भी खटाई में है।
बता दें कि पिछले वर्ष रेलवे ने दावा किया था कि इस सुविधा के तहत सभी शताब्दी ट्रेन में एलसीडी स्क्रीन लगी होगी। जिस पर 80 टीवी चैनल दिखेंगे। यात्रियों को हेडफोन की सुविधा भी दी जाएगी। उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने 31 मार्च 2012 तक यात्रियों को इंफोटेनमेंट (इंफॉरमेशन+इंटरटेनमेंट) की सुविधा देने का वादा भी किया था। इसका प्रयोग पहली बार कालका-शताब्दी (12005/12006) के एक्जिक्यूटिव कोच में किया भी गया। रेलवे का तकनीकी विभाग यह सुविधा दे रहा था। लेकिन बाद में रेलवे के वाणिज्य विभाग ने यह कहते हुए अड़ंगा लगा दिया कि यह काम वाणिज्य से जुड़ा है। इसलिए इसका संचालन अब वाणिज्य विभाग ही करेगा।
यही वजह है कि दिल्ली से चलने वाली लखनऊ शताब्दी, कानपुर शताब्दी, अमृतसर शताब्दी, कालका शताब्दी, भोपाल, अजमेर और देहरादून शताब्दी के यात्री इस सुविधा से वंचित रह गए। डायग्नोस्टिक केंद्र का पता नहीं रेल बजट में कई घोषणाएं फाइलों में ही दब कर रह जाती हैं। एक योजना रेलवे स्टेशन के पास यात्री डायग्नोस्टिक केंद्र खोलने की थी। तीन बजट बीत जाने के बाद भी इसे अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी नहीं दिख रही है। जबकि इस तरह का डायग्नोस्टिक सेंटर खुल गया होता तो पिछले दिनों इलाहाबाद स्टेशन पर हादसे के बाद घायलों को इलाज के लिए घंटों परेशान नहीं होना पड़ता और कई लोगों की जान भी बचाई जा सकती थी। योजना के तहत 522 प्रमुख रेलवे स्टेशन के पास ओपीडी व डायग्नोस्टिक केंद्र खोलना था, जिसमें नई दिल्ली समेत दिल्ली व एनसीआर के एक दर्जन मुख्य रेलवे स्टेशन सराय रोहिला, शाहदरा, दिल्ली कैंट, गाजियाबाद, साहिबाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद, शकूरबस्ती आदि शामिल हैं। लेकिन यह योजना आज भी स्वास्थ्य व रेल मंत्रालय के बीच फाइलों में ही दौड़ रही है।
तीन वर्ष बाद भी योजना जस की तस है। सेंटर के लिए रेलवे को जमीन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी थी और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से ओपीडी खुलनी थी। इसका फायदा यह होता कि अगर किसी यात्री की तबीयत बिगड़ जाती है या कोई हादसा हो जाता है तो तत्काल इलाज मिल जाता। इतना ही नहीं अगर कोई इलाज के लिए ट्रेन से दिल्ली आ रहा हो तो उसे एंबुलेंस लाने में असुविधा नहीं होती।
बेहतर पर्यटन व सफाई व्यवस्था पर राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके दिल्ली मंडल के अधिकारी के साथ दिल्ली वालों को इस बार रेल बजट से कई अपेक्षाएं हैं।
-टिकट खरीदने में लोगों को सहूलियत हो।
-दलालों के चंगुल से रेल व्यवस्था को निकालने के उपाय पर गंभीरता से विचार।
-अतिरिक्त पटरियां बिछाने की उम्मीद।
-पानीपत-मेरठ के बीच रेलवे लाइन बिछाना।
-नई दिल्ली स्टेशन पर सुविधा बढ़ाने के साथ-साथ खस्ताहाल बिजवासन रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय बनाने की योजना पर काम।
-आनंद विहार मेगा टर्मिनल पर दूसरे चरण का काम पूरा करने।
– 300 से अधिक वेटिंग पर ट्रेन में अतिरिक्त कोच तथा 700 से अधिक वेटिंग पर नई ट्रेन चलाने की पहल।
– गुड़गांव, सोनीपत, गाजियाबाद व शकूरपुर जैसे स्टेशनों को आदर्श स्टेशन बनाया जाए।