धन को लेकर हाथ कसे होने के बावजूद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रक्षा बजट में 14 फीसदी का इजाफा कर साफ संदेश दे दिया है कि सरकार सीमा पर खतरे की चुनौतियों से कोई समझौता नहीं करने जा रही है।
हर हाल में सेना के आधुनिकीकरण पर जोर दे रही सरकार ने 2013-14 में रक्षा पर दो लाख करोड रुपए से भी अधिक खर्च करने का ऐलान किया है। साथ ही चिदंबरम ने रक्षा मंत्री एके एंटनी से वादा किया कि सुरक्षा के लिए अतिरिक्त खर्च की कमी भी नहीं पड़ने दी जाएगी।
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इस बार का कुल रक्षा बजट 2,03,672 करोड़ रुपए का है, जो पिछले साल के मुकाबले 25,169 करोड़ रुपए ज्यादा है। इसमें पिछले साल लचर अर्थव्यवस्था के चलते संशोधित बजट में 14904 करोड़ रुपये की कटौती को भी इस बजट में पूरा कर दिया गया है। इसमें सेना के आधुनिकरण पर 86,741 करोड़ रुपये खर्च करने का मद रखा गया है।
चिदंबरम ने बजट भाषण में रक्षा मंत्री को अत्यधिक सूझबूझ वाला व्यक्ति बताते हुए संसद को आश्वस्त किया कि देश की सीमाओं की सुरक्षा में कोई समझौता नहीं होगा। रक्षा मंत्रालय और सेना को इस आवंटित दो लाख करोड के अतिरिक्त किसी भी जरूरत को पूरा करने में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी।
भारत की सीमा पर दो बड़ी चुनौतियों पाकिस्तान और चीन को ध्यान में रखते हुए बजट में थल सेना को सबसे ज्यादा 81,834 करोड़ रुपया आवंटित गया है, जबकि नौसेना को 12,194 करोड़ और वायुसेना को 18,295 करोड़ रुपया दिया गया है। सेना के हथियार व गोला बारुद कारखानों पर 995 करोड़ तथा रक्षा अनुसंधान व विकास पर 5552 करोड़ खर्च किया जाएगा। �
रक्षा मंत्रालय फ्रांस, रुस और अमेरिका के साथ बड़े सौदे करने जा रही है। भारत तिब्बत सीमा पर निर्माण और आधुनिकरण पर भी सरकार का खास ध्यान है। सरकार ने 126 नए लड़ाकू विमान की खरीद को मंजूरी दे रखी है।