केंद्र सरकार भगवान राम के बनाए सेतु को तोड़कर सेतुसमुद्रम परियोजना का निर्माण करने पर अडिग है। सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि 829 करोड़ खर्च करने के बाद इस परियोजना को बंद नहीं किया जा सकता। अपनी परियोजना को आर्थिक और पर्यावरण के लिहाज से सही ठहराते हुए केंद्र ने वैकल्पिक मार्ग के लिए गठित पर्यावरणविद् आरके पचौरी समिति की सिफारिशों को नकार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में जहाजरानी मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने बहुत शीर्ष स्तर के शोध के आधार पर परियोजना को हरी झंडी दी है। परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय से भी मंजूरी मिल गई है। पर्यावरण की शीर्ष संस्था नीरी ने भी परियोजना को आर्थिक तथा पारिस्थितिकी तौर पर ठीक बताया है।
हलफनामे में कहा गया है कि सेतुसमुद्रम परियोजना सहित पचौरी समिति ने अपनी रिपोर्ट में वैकल्पिक मार्ग को साफ तौर पर नकार दिया है। समिति ने कहा था कि सेतुसमुद्रम परियोजना आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से ठीक नहीं है।
मंत्रालय के उपसचिव अनंत किशोर सरन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे यह भी कहा है कि केंद्र सरकार ने 2007 में विशिष्ठ व्यक्तियों की एक समिति का गठन किया था। उसकी ओर से इस परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई थी। परियोजना समुद्र मार्ग निर्देशन, सुरक्षा व रणनीतिक लिहाज से और आर्थिक लाभ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सरकार 30 जून, 2012 तक परियोजना पर 829 करोड़ 32 लाख रुपये खर्च कर चुकी है। इस कारण पचौरी समिति की सिफारिशों को मानने का सवाल ही नहीं उठता। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 2087 करोड़ रुपये की परियोजना की समीक्षा करने का सरकार को आदेश दिया था। पचौरी कमेटी का गठन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से किया गया था।
हलफनामे के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पचौरी के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट पर विचार किया और उसकी सिफरिशों को नामंजूर कर दिया। सरकार ने सुनवाई के दौरान रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने पर कोई कदम उठाने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस पर फैसला करने को कहा था। सरकार ने कहा कि 2008 में दायर अपने पहले हलफनामे पर कायम है जिसे राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी थी।
गौरतलब है कि सरकार ने अदालत में दायर हलफनामे में भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था। देशभर में तीव्र प्रतिक्रिया के बाद सरकार को संशोधित हलफनामा दायर करना पड़ा था। इसमें कहा गया था कि सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है।
याचिकाओं का निपटारा करे अदालत
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से आग्रह किया है कि रामसेतु के मुद्दे पर दायर याचिकाओं का अदालत निपटारा कर दे। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की महत्वाकांक्षी सेतुसमुद्रम परियोजना के खिलाफ कई याचिकाएं दायर हैं। यह परियोजना पौराणिक पुल रामसेतु को तोड़कर भारत के दक्षिणी हिस्से के इर्द-गिर्द समुद्र में छोटा नौवाहन मार्ग बनाए जाने पर केंद्रित है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार इस पुल को भगवान राम की सेना ने लंका पहुंचने के लिए बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई, 2008 को सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट के वैकल्पिक मार्ग की संभावना तलाशने के लिए पचौरी की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने 29 जुलाई, 2008 को समिति गठित की थी।