पटना। बिहार के फुलवारी शरीफ स्थित इसापुर का एक व्यक्ति बिस्तर पर क्या गिरा उसकी गृहस्थी ही उजड़ गई। उसके इलाज की खातिर पत्नी ने ममता की कुर्बानी देते हुए पांच हजार रुपये में अपनी कोख में पल रही नवजात का सौदा कर डाला। बच्ची ने जैसे ही जन्म लिया, खरीदार उसे बिना मां का दूध पिलाए ले गया। फिलहाल पत्नी के साथ उसकी तीन अन्य संतानें दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। पटना में पेंटर का काम कर रहा व्यक्ति अपनी पत्नी व तीन बच्चों का आराम से परवरिश कर रहा था। उसने इसापुर क्षेत्र में किराये पर मकान ले रखा था। अचानक पेंटर को पेट में पथरी हो गई।
डॉक्टरों ने बताया कि तत्काल ऑपरेशन करना होगा। परेशान पत्नी को कुछ सूझ नहीं रहा था। वह गर्भ से थी। घर में 8, 6 व 4 साल के तीन मासूम और बीमार पति और बच्चें भूख से बिलबिलाते तो वह कहती, अनाज की दुकान अभी खुली नहीं है। दुकान खुलने पर वह आटा लाकर रोटी बनाएगी। बच्चें रोटी के इंतजार में भूखे ही सो जाते। आस-पास के लोगों को बच्चों पर तरस आता तो कभी कभार बच्चों को कुछ खाने को दे देते। पत्नी ने किसी तरह सगे संबंधियों से कर्ज लेकर पति का ऑपरेशन करा दिया। पति घर आया तो उसके सामने दवा व भोजन की समस्या खड़ी हो गई।
अंतत पत्नी ने एक पड़ोसी के सुझाव पर मुहल्ले के निसंतान दंपति के पास गई और कोख में पल रहे बच्चे को बेचने का प्रस्ताव रखा। कुछ शर्तो के साथ पांच हजार रुपये में बात पक्की हुई। उसने अपनी कोख से पुत्री को जन्म दिया और शर्त के अनुसार प्रथम स्तनपान कराये बिना ही निसंतान दंपति को बेच दिया। पांच हजार से उसने अपने पति के लिए दवा खरीदी और खाने का राशन। मगर समस्याएं फिर मुंह बाये खड़ी हैं।
अब वह दुआ कर रही है कि उसका पति स्वस्थ हो जाये, ताकि बच्चे का भरण पोषण हो सके। उसका पति स्वस्थ हो भी जाए तो यह बड़ा प्रश्न है कि क्या वह कोख से जनी बेटी को भूल पायेगी? फिलहाल उसके तीन बच्चें इधर-उधर से खाना मांग कर लाते हैं। महिला प्रसव के बाद कमजोर शरीर लेकर इधर-उधर मजदूरी कर रही है। यह मामला गुरुवार को राज्य विधान परिषद में भी उठा। इस पर सूबे के श्रम संसाधन मंत्री जनार्दन सिग्रीवाल ने कहा कि सरकार परिवार को हर संभव सहायता करेगी।