नई दिल्ली। प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस मार्कडेय काटजू का विवादित लेख अब भारतीय सीमा को लांघ कर पाकिस्तान पहुंच गया है। इस लेख में उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखी टिप्पणी की थी। काटजू ने यह लेख एक अंग्रेजी दैनिक के लिए लिखा था, जिसके बाद इस पर आरोपों और प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया था। पाकिस्तान के लीड अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में इस लेख को मोदी और 2002 का नरसंहार की हैडिंग से प्रकाशित किया गया है।
काटजू ने अपने लेख में मोदी की तुलना हिटलर से कर डाली थी। इस लेख के सरहद पार होने से एक बार फिर भाजपा काटजू के खिलाफ मुखर हो गई है। भाजपा ने इसे राष्ट्रविरोधी करार दिया है। बीजेपी सांसद बलबीर पुंज ने आरोप लगाया कि काटजू पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं।
इस लेख ने न सिर्फ भारतीय राजनीति में खूब रार मचाई है बल्कि काटजू को लेकर एक बार फिर से कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई हैं। भाजपा के राज्य सभा सांसद अरुण जेटली ने तो जस्टिस काटजू को बर्खास्त करने की मांग कर डाली थी। काटजू ने इस लेख में लिखा था कि मोदी के समर्थक गोधरा कांड को 59 हिंदुओं की हत्या की तात्कालिक प्रतिक्रिया बताते हैं। लेकिन मैं इस पर यकीन नहीं करता हूं। उन्होंने लिखा था कि गोधरा कांड को लेकर कई रहस्य अभी भी बरकरार हैं। इस लेख में उन्होंने मांग की थी कि जो इसके दोषी है उनकी पहचान को उजागर किया जाना चाहिए और उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
काटजू ने इस लेख में गुजरात सरकार को आड़े हाथों लेते हुए लिखा था कि 2002 में मुसलमानों का नरसंहार किया गया, उनके घर जलाए गए और उन्हें कई तरीके से निशाना बनाया गया। मोदी समर्थकों का इसको केवल प्रतिक्रिया कहना 1938 में जर्मनी के क्रिस्टालनाष्ट की घटना की याद दिलाता है। जब जर्मनी में पूरे यहूदी समुदाय पर हमला किया गया था। तब नाजी सरकार ने दावा किया था कि ये एक तात्कालिक प्रतिक्रिया थी। लेकिन सच्चाई इसके उलट थी और इसको योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था।