अंतरराष्ट्रीय फुटबालर नसीम अख्तर मंगलवार को मीडिया के सामने आए और यूपी की संतोष ट्राफी टीम से खुद के अलग होने के कारणों का खुलासा किया। कप्तान नसीम अख्तर ने यूपी फुटबाल संघ के सचिव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने खिलाड़ियों का हक मारा है।
उन्होंने कहा, ‘न तो टीम को एआईएफएफ के मानक के अनुरूप भोजन भत्ता मिला और न ही अन्य सहूलियतें। मैंने जब इसके खिलाफ आवाज उठाई तो मेरे ऊपर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया। यह खिलाड़ियों के साथ बदसलूकी ही नहीं बल्कि आर्थिक अपराध का भी मामला है। मैं जल्द ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और एआईएफएफ के अध्यक्षप्रफुल्ल पटेल से मिलकर पूरा प्रकरण उनके सामने रखूंगा और उनसे मामले की जांच कराने का अनुरोध करूंगा।’
यूपी टीम के इस गोलकीपर ने खिलाड़ियों को मिली जर्सी, नेकर, ट्रैक शूट और ट्रेवल बैग को भी मीडिया को दिखाया और पूछा कि क्या सीनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए यूपी के खिलाड़ी इसी किट के हकदार थे। बताया कि यह सब कुछ यूपी के खेल विभाग से मिला है, जबकि यूपीएफएस दावा कर रहा कि उसने मुहैया कराया।
नसीम ने बताया कि यूपी फुटबाल टीम जिस रामेश्वरम एक्सप्रेस ट्रेन से केरल रवाना हुई उसमें पेंट्री कार तक नहीं है। इतना ही नहीं टीम को महज सात बर्थ ही कनफर्म मिली जबकि 19 खिलाड़ी टीम के साथ गए हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यूपीएफस को भरोसा नहीं था कि यूपी टीम क्वार्टर फाइनल लीग के लिए क्वालीफाई कर लेगी। बिना बर्थ के ट्रेन से तीन दिन सफर करना और उसके बाद पहुंचते ही मैच खेलना अमानवीयता नहीं तो और क्या है? ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। यूपी फुटबाल टीम के साथ अक्सर ऐसा होता है। यही कारण है कि प्रदेश के अच्छे खिलाड़ी यूपी छोड़ने को बाध्य हो रहे हैं।