दिल्ली के सदर बाजार में भीषण आग, दमकल की 20 गाड़ियां मौके पर

बुधवार का दिन आगजनी के नाम रहा। तड़के कोलकाता में और बुधवार देर शाम दिल्ली के सदर बाजार में आग लग गई। उत्तरी दिल्ली के सदर बाजार की मटके वाली गली में शाम करीब आठ बजे आग लगी। एक पिचकारी की दुकान में लगी आग कुछ ही देर में बाकी दुकानों में भी फैल गई। फायर ब्रिगेड को आग की सूचना मिलने पर उसने आग बुझाने को 20 गाड़ियां मौके पर भेजीं। सदर बाजार को दिल्ली की थोक मार्केट के तौर पर जाना जाता है।

वहीं कोलकाता के सूर्यसेन बाजार में बुधवार तड़के लगी आग में मरने वालों की तादाद बढ़कर 20 हो गई है। आग की चपेट में आकर आठ लोग घायल भी हुए हैं। फायर ब्रिगेड की 25 गाडियां मौके पर मौजूद हैं लेकिन करीब सुबह तीन बजे लगी आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। सीएम ममता बनर्जी भी मौके पर पहुंची हैं। (तस्‍वीरें देखने के लिए आगे के स्‍लाइड पर क्लिक करें)

आग किस वजह से लगी, इस बारे में अभी पता नहीं चल सका है। लेकिन हादसे को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल के दमकल मंत्री जावेद खान ने कहा है कि सूर्यसेन बाजार गैर कानूनी है। राज्‍य में 34 साल के लेफ्ट सरकार के शासनकाल में यह अवैध बाजार बनाया गया और पनपा है। जिम्‍मेदारी के सवाल उन्‍होंने साफ-साफ पल्‍ला झाड़ लिया। उन्‍होंने कहा, ‘मैं इसके लिए जवाबदेह नहीं हूं। जो जिम्‍मेदार विभाग से उनसे सवाल पूछिए।’ कोलकाता के मेयर सोवन चटर्जी ने भी इस हादसे के लिए जिम्‍मेदारी के सवाल से पल्‍ला झाड़ लिया। उन्‍होंने कहा कि पहले आग पर काबू पाना जरूरी है।

शुरुआती तौर पर कहा जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से यह हादसा हुआ। जिस इलाके में आग लगी है, वहां कमर्शियल कॉम्‍प्‍लेक्‍स है। आपदा प्रबंधन मंत्री का कहना है कि मृतकों की संख्‍या बढ़ सकती है। बताया जा रहा है कि 30 से 40 लोग अब भी आग की चपेट में फंसे हुए हैं। पुलिस कमिश्‍नर सुरजीत पुरकायस्‍थ ने बताया कि राहत एवं बचाव कार्य जारी है। इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारियों को भी लगाया गया है।

सियालदह स्थित मार्केट में जहां आग लगी है वह कपड़ा, किराना और सब्जियों का बहुत बड़ा बाजार है। इसमें करीब 450 दुकानें हैं। बताया जा रहा है कि बाजार में रात में ही कई मजदूर सो जाते हैं। इससे पहले, कोलकाता केएएमआरई अस्पताल में दिसंबर 2011 में लगी भीषण आग में 90 से अधिक लोग मारे गए थे। 25 फायर ब्रिगेड गाड़ियों और 250 जवानों को आग बुझाने में 10 घंटे लगे। सबसे ज्यादा मौतें आईसीयू में भर्ती मरीजों की हुई थी।