फीस माफ़ी पर चल रहे स्कुल और अभिभावकों के बीच चल रही लड़ाई को हम दोनों ही पक्षों की बात को सामने रखने का प्रयास कर रहे है I इसको शुरू करने के समय हमारा विचार इस पर एक स्टोरी करने का था लेकिन आप लोगो के जबरदस्त रिस्पोंस ने हमें इसे विस्तृत रूप में बदलने पर मजबूर कर दिया I अब अगले 9 दिनों तक आने वाली इस सीरीज में हम विभिन्न संगठनो, स्कुलो, राजनेताओं. सामाजिक विचारको और सरकार के साथ साथ आम अभिभावकों का भी अनसुना पक्ष रखने की कोशिश करेंगे I इसी क्रम में चौथे भाग में हम GNG अभिभावक संघ के अनिल पुंडीर की बात आपके सामने रख रहे है I आप सभी लोग अपनी राय इस सीरीज पर दे सकते है ताकि इस विषय पर सभी का सच सामने आ सके
इस वैश्विक महामारी के समय जहां पूरे विश्व के साथ हमारा भारत देश भी इससे ग्रसित है।
ऐसे में सभी देशवासियों जिसमें छोटे बड़े सभी कंपनियां, व्यापारी, कर्मचारी अन्य सभी वर्ग बहुत बुरी तरह से आहत हुए है।यह सभी वर्ग अभिभावक वर्ग के अंतर्गत आता है।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी के आदेश पर सभी देशवासी काम बंद होने के बावजूद भी किसी ना किसी प्रकार से इस मुश्किल स्थिति के साथ समझौता कर रहे हैं और उन पर आश्रित सभी लोगो के लिए चिंतित है
जहां देश की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो चुकी है। वहीं स्कूल प्रबंधन इन सब चीजों से अज्ञात व अनजान है वह देश में आये इस मुश्किल समय में किसी भी प्रकार से समझौता करने को तैयार नहीं है।
“चाहे देश में कुछ हो जाय, स्कूलों के व्यापार पर आंच नही आनी चाहिए”।
स्कूल की इस मनमानी को रोकने के लिए और सरकार की गहरी नींद को जगाने के लिए जी.एन.जी पेरेंट्स एसोसिएशन का गठन किया गया।
यह एसोसिएशन किसी और के द्वारा नहीं सिर्फ और सिर्फ अभिभावकों के द्वारा ही बनाया गया है।
पहले सभी अभिभावक अपने-अपने स्कूलों से लड़ रहे थे उन सभी ने आपस मे संपर्क स्थापित कर इस संघ का निर्माण किया।
हम सभी अभिभावकों का कहना है इस मुश्किल परिस्थिति में अभिभावकों ने जरूरतमंद लोगों की सहायता की है व पीएम केयर में अपनी ओर से दान भी किया है। लेकिन स्कूल की मनमानी में सरकार ने अभिभावकों को अकेला छोड़ दिया है वह मदद के लिए किसके पास जाएं।
अभिभावकों का कहना है इतने लंबे समय से स्कूल एनसीआर में व्यापार करते आए हैं और इस व्यापार के चलते इन सभी के पास बहुत अच्छे सर प्लस फंड है इस मुश्किल समय को समझकर स्कूल सामने आए और अपनी ओर से राष्ट्रहित में सहयोग करें,
इन सभी की मांग है इस मुश्किल स्थिति के समय में सरकार स्कूलों को निर्देश दे कि वह इस लॉकडाउन के प्रथम तिमाही फीस को माफ करें व उसके पश्चात ट्यूशन फीस के अलावा कोई अतिरिक्त शुल्क ना लें जोकि सरकार ने पहले ही आदेश जारी किए हैं उनका सही तरह से पालन नहीं किया जा रहा है।
साथ ही समय की आर्थिक स्थिति को समझकर अपने सरप्लस/रिज़र्व खातों से अपने अध्यापको व सभी कर्मचारियों को समय पर सैलरी दे, अगर सरकार को जरूरत पड़े तो स्कूलों के खातों की जांच करी जाय ताकि वास्तविकता का मालूम चल सके।
अनिल पुंडीर
इस सीरीज के अन्य भाग के लिए
फीसमाफ़ी : क्या स्कूलफीस माफी अभियान स्कूल और संगठनो के बीच रस्साकशी मात्र है ? भाग 1
फीसमाफ़ी भाग 2: बाहरी संगठनों के द्वारा फीस माफी के विरोध के चलते मुश्किल है फीस माफ होना