मनोज कुमार श्रीवास्तव

मनोज कुमार श्रीवास्तव

कुछ खास नहीं..... बचपन से ही लेखन का शौक रहा....... परन्तु क्षुधा शांत करने के लिए संभवतः ये पर्याप्त नहीं.....अतः बैंक में रोजगार ढूंढ लिया....... लेखन कार्य शिथिल तो पढ़ा......समाप्त न हो सका........कहते है न कि कुछ कीड़े आराम से नहीं मरते .....सो ऐसी ही कुछ मेरे साथ भी हुआ...... समय बीतता गया........ समय का अभाव भी.... परन्तु ईश्वर कि कृपा से मेरी प्रथम पुस्तक "अवशेष" वर्ष २००७ में प्रकाशित हो गई...... लोग कहते है कि अच्छी कहानियां है उसमे...... समय मिले तो पढियेगा...... पुस्तक न मिले और पढने कि इच्छा हो, तो मुझे अवश्य बताइयेगा... ... ब्लॉग से जुड़ा तो एक नई विधा समझ में आई......प्रयास करता हूँ कि अपने मनोभाव व्यक्त कर सकू....... आप सभी गुणीजनों का आशीष अपेक्षित है......
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