उत्तर प्रदेश के लखनऊ में छावनी क्षेत्र में सेना की एक पुरानी चांदमारी (फायरिंग रेंज) में मिट्टी का टीला ढहने से पांच मजदूरों की मौत हो गई। एक मजदूर को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटना के समय मौजूद उनका एक साथी बच गया। अर्जुनगंज के रहने वाले ये सभी मजदूर सुबह मजदूरी के लिए निकले थे। मिट्टी की ढुलाई के लिए इन्हें 200 रुपए मजदूरी पर लाया गया था। वहीं पुलिस का यह भी कहना है ये मजदूर कारतूस का खोखा बीनने के लिए फायरिंग रेंज में गए थे। मृतकों की उम्र 20 से 40 वर्ष के बीच है।
अर्जुनगंज के मचल खेड़ा के निरंजन, श्रीराम, चुरई, सुरेश रावत, इंदरपाल, रज्जनलाल मजदूरी करने के लिए मंगलवार सुबह आठ बजे घर से निकले थे। मचलखेड़ा का राजेंद्र इन लोगों को मजदूरी कराने और बदले में 200 रुपये देने की बात कहकर सुबह अपने साथ लेकर घर से निकला था।
सभी लोग दोपहर दो बजे यहां बूचड़ी मैदान स्थित वैवाहिक आवासीय परियोजना (मैप) प्रोजेक्ट की राजीव संधु विहार कॉलोनी के ठीक पीछे सेना की चांदमारी की पुरानी रेंज पर पहुंच गए।
यहां 1998 के बाद से सेना ने यहां फायरिंग बंद कर रखी है। गोली रोकने के लिए बने करीब 30 फीट ऊंचा और 40 फीट लम्बे मिट्टी का टीले का एक हिस्सा मंगलवार दोपहर भरभराकर गिर गया। घटना से बचकर रज्जनलाल वहां से भाग निकला और गांव जाकर लोगों को सब लोगों के मिट्टी में दब जाने की सूचना दी।
सूचना पाकर दोपहर दो बजे कई थानों की पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। आलमबाग से किसी तरह पुलिस ने जेसीबी की व्यवस्था कर मिट्टी का मलबा हटाने का काम शुरू किया।
कुछ देर में ही इंदरपाल और राजेंद्र मिल गया। इंदरपाल की सांस चल रही थी। उसे सेना के मध्य कमान अस्पताल भेजा गया। बाद में उसे सिविल अस्पताल भेज दिया गया। जबकि राजेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई थी।
मध्य कमान अस्पताल में होश में आते ही इंदरपाल ने इतना बताया कि उसके साथ छह और लोग थे। इस पर पुलिस ने छावनी परिषद और यातायात विभाग से एक और जेसीबी मंगवाकर खोदाई तेज कर दी।
करीब दो घंटे बाद निरंजन का शव मिला, इसके बाद श्रीराम, सुरेश रावत और चुरई का शव भी बरामद हो गए। सभी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।