हत्या के एक मामले में पिछले साल आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए तमिलनाडु के कांचीपुरम के एक डिस्ट्रिक जज ने बेतुकी टिप्पणी की।
उन्होंने कहा था कि ‘अगर एक पुरूष और महिला को एकांत में छोड़ दिया जाए तो हमेशा वह सेक्सूअल इंटरकोर्स करेंगे।’
अब इस मामले में आरोपी को रिहा करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कांचीपुरम के जज की इस टिप्पणी और फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
हाईकोर्ट ने कहा कि कांचीपुरम के जज ने जो निर्णय दिया था वह पूरी तरह अटकलों और अनुमानों पर आधारित था।
टाइम्स ऑफ़ में छपी रिपोर्ट के अनुसार, 13 मार्च 2012 को फैक्टरी वॉचमैन कट्टू राजा को अपनी सहकर्मी की हत्या का दोषी मानते हुए कांचीपुरम के जज ने सजा देते हुए ये बेतुकी टिप्पणी की थी।
जून 2008 में चेन्नई में पुलिस ने राजा को मागेश्वरी की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उस समय राजा एक फैक्ट्री में काम करता था और मागेश्वरी उसी फैक्ट्री के प्रोडक्शन विभाग में काम करती थी।
हत्या के बाद वहां के लोगों का कहना था कि राजा और मागेश्वरी अक्सर एक-दूसरे से मिलते-जुलते देखे जाते थे।
कांचीपुरम के सेशन कोर्ट ने राजा को मृतक के साथ उसकी नजदीकियों, हत्या के बाद कुछ दिन गायब रहने और पुलिस के सामने अपराध कबूल करने जैसे परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुनाया था।
डिस्ट्रिक्ट जज के फैसले को अटकलों के आधार पर मानते हुए हाईकोर्ट ने राजा को बरी कर दिया और यह फैसला सुनाते हुए कहा कि राजा के खिलाफ ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं हैं जो यह साबित करे कि हत्या उसने की है। सिर्फ संदेह और अटकलें सबूत नहीं बन सकते।