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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 123 दिन बाद किसान आंदोलन हुआ समाप्त, किसी के हिस्से में प्यास आई, किसी के हिस्से में जाम आया

123 दिन के तथा कथित प्रदर्शन और सौदेबाजी के बाद शनिवार को किसान आंदोलन को एक बार पुनः समझौते की आड़ में स्थगित कर दिया गया । स्थगन की रूपरेखा 12 सितंबर को डेरा डालो घेरा डालो के बाद किसानों के नेताओं और कार्यक्रम के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में लिख ली गई थी किंतु मुद्दों पर सहमति के लिए मिनिट्स आफ मीटिंग लिखित में लेने के नाम पर इसे तीन दिन और खींचा गया और आज इस आंदोलन को बाजे गाजे के साथ समाप्त कर दिया गया ।

किसान नेताओं ने बताया ऐतिहासिक समझोता

आंदोलन स्थगित करने के बाद किसान नेताओं ने मौजूद कार्यकर्ताओं आंदोलन कार्यों के सामने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि उनकी और प्राधिकरण के बीच 10% आबादी और प्लाट को लेकर सहमति बन गई है। ज्यादातर मसले अक्टूबर में होने वाली बोर्ड बैठक में पास कर दिए जाएंगे । इसके बाद किसान आंदोलन के प्रवक्ता डॉक्टर रुपेश वर्मा ने लोगों को इस आंदोलन की समाप्ति की घोषणा करते हुए यह भी बताया कि बोर्ड बैठक में अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो इसे एक नवंबर से उन्हें प्रारंभ किया जाएगा । वही एक अन्य आंदोलनकारी सुनील फौजी के अनुसार गौतम बुध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के जरिए किसान नेताओं को मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने का आश्वासन भी मिला है ।

किसी के हिस्से में प्यास आई, किसी के हिस्से में जाम आया

आनंद के इन क्षणों में जब सब और खुशियां ही खुशियां हैं तब सपनों के बीच यथार्थ की बातें करना अच्छी बातें तो नहीं है किंतु आंदोलन की आड़ में आम आदमी को सपनों की दुनिया दिखाकर उसके नीचे की जमीन भी छीन ली जाए और उसकी बात भी ना हो यह भी अच्छी बात नहीं हैl ऐसे में 123 दिन तक आंदोलन करने के बाद आ रही सफलता के बीच कुछ कड़वी बातें होना भी जरूरी है कि इस आंदोलन से आखिर किसको क्या मिला और किसको मिलने के सपने दिखाने के बाद किनारे कर दिया गया ।

तो सबसे पहले बात करते हैं किसको क्या मिला तो इस आंदोलन के फलस्वरूप ग्रेटर नोएडा और उसके आसपास के क्षेत्र में लोगों ने डॉक्टर रुपेश वर्मा के तौर पर एक नया किसान नेता देखा जिसे यह साबित किया कि वह किसानो की मांग को पूरा करवाने के लिए प्राधिकरण और सरकार को मजबूर कर सकता है । इसके बाद क्षेत्र के किसानों को 10% आबादी प्लॉट और लीजबैक के प्रकरणों में कुछ सकारात्मक होने की उम्मीद मिली । इस उम्मीद के बदले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आए नए सीईओ रवि एन जी ने खुद को किसानों का बेटा बताते हुए सरकार का फेस लिफ्ट करने का कम सफलतापूर्वक कर दिया। यानि इस समझोते मे सरकार, प्राधिकरण के अधिकारी ओर किसान नेता सब खुश हुए ।

किन्तु इस आंदोलन से सबसे बड़ा फायदा क्षेत्र में अब तक मजदूरों के नाम पर छोटे-मोटे आंदोलन करती रही वामपंथी पार्टी (CPM) को हुआ जिसने यह साबित किया कि नोएडा ,ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्र में आने वाले दिनों में इस पार्टी की गतिविधियां और व्यापार पर दबाव उसकी पार्टी के कैडर का होने वाला है । जो प्रदेश ओर सरकार दोनों के लिए सबसे बड़ी खतरे की घंटी है l

आपको बता दें कि जिन दिनों कानपुर इस देश में मैनचेस्टर कहलाता था उन दिनों उसको बर्बाद करने के लिए इसी तरीके से सीपीएम ने लगातार कामगार मजदूर और गरीब लोगों के बीच आंदोलन किया और कानपुर के बड़े उद्योग धंधों को चौपट कर दिया और इन्हीं मजदूर कामगारों के शोषण को आधार बनाकर सुहासिनी अली जैसी वामपंथी नेत्री ने वहां अपनी राह राजनैतिक आसान कर ली। महत्वपूर्ण ये भी है कि इस आंदोलन की आड़ में सीपीएम के महिला संगठन ओर उसकी नेत्री आशा शर्मा ने ग्रेटर नोएडा के गांवो की महिलाओं को कार्यकर्ता बना लिया है और आने वाले दिनों में इनका उपयोग कई जगह होगा।

अब इस आंदोलन मे जिसको कुछ नहीं मिला उस पर भी आते है , आंदोलन के बाद हुए समझोते की विद्रूप स्थिति ये है कि आंदोलन में सबसे प्रमुख बात को ही बातचीत की टेबल पर किनारे कर दिया गया । किसान आंदोलनकारियो और प्राधिकरण के बीच हुए समझौते के MOM को ध्यान से पढ़ने के बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि एक बार फिर से अमीर ओर दबंग किसानों ने गरीबों ओर महिलाओ को ढाल बनाकर अपनी शर्ते मनवा ली हैं और अंत मे उसी गरीब को एक बार फिर से सपने दिखाकर छल लिया गया है

इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा अधिग्रहण से प्रभावित भूमिहीन किसानों को 40 मीटर प्लॉट देने का था । और इसी 40 मीटर प्लॉट के नाम पर 123 दिन तक लगातार महिलाएं इस आंदोलन से जमी थी । किंतु गरीबों का दुर्भाग्य देखिए कैसे पूरे MOM में 40 मीटर प्लॉट की बात कहीं नहीं है। अब ऐसे में महत्वपूर्ण प्रश्न यह है की क्या एक बार फिर से गरीब अमीर किसानों के बहकावे में आकर छला गया है या फिर उसको यही परिणाम मिलना था।

ऐसे में किसान आंदोलन के समाप्त होने का आनंद उत्तर प्रदेश सरकार, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और अमीर किसान आंदोलनकारी नेता आज भले ही मना रहे हैं किंतु यह आनंद कब तक चलेगा इसकी आखिरी तिथि 31 अक्टूबर पहले ही नियत कर दी गईं है ।

आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते दशक भर से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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