राजेश बैरागी l पिछले चार महीने से अपने लंबित अधिकारों के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर दिन रात धरना दे रहे किसान संभवतः अगले दो तीन दिन में वापस घर लौट जाएंगे। प्राधिकरण के सीईओ रवि कुमार एनजी के साथ आज मंगलवार को हुई बैठक से संतुष्ट किसान नेताओं ने ऐसे संकेत दिए हैं। हालांकि यह किसान आंदोलन ऐसे मोड़ पर आ पहुंचा था कि जहां प्राधिकरण के पास किसानों की जायज मांगों को मानने के अलावा कोई चारा नहीं था और आंदोलन को आगे जारी रखने की किसान नेताओं की सामर्थ्य चुकने लगी थी।
ऐतिहासिक घटनाओं की पुनरावृत्ति कोई अनोखी बात नहीं है। लगभग सवा सौ बरस पहले रूस और जापान के बीच मुकदेन (चीन का एक स्थान) में हुए भीषण युद्ध के बाद ‘पोर्ट्स माउथ की संधि’ की अपनी विशेषता थी। इस युद्ध में जापान की कमर टूट गई थी और रूस के हौंसले पस्त हो गये थे। अंततः दोनों देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट के चौदह सूत्रीय प्रस्ताव पर संधि कर ली।12 सितंबर मंगलवार को किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर अपनी घोषणा के अनुसार घेरा डालो डेरा डालो नारे के साथ जोरदार प्रदर्शन किया। प्राधिकरण के मुख्य द्वारों पर सांकेतिक रूप से ताला लगाया गया और फिर सीईओ रवि कुमार एनजी के साथ किसान नेताओं की वार्ता हुई। एक सप्ताह पहले भी भाजपा राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर और जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह की मध्यस्थता में भी वार्ता हुई थी और वार्ता बेनतीजा रही थी। उसके बाद ही किसानों ने आंदोलन उग्र करने की घोषणा की थी।आज की वार्ता में सीईओ रवि कुमार एनजी किसानों को यह समझाने में सफल रहे कि वे अपने स्तर के किसानों के सभी कार्य करने में जुटे हैं और शासन स्तर के कार्यों को भी तेजी से बढ़ा रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि वे (किसान) चाहें तो अपना धरना जारी रख सकते हैं या उनपर विश्वास कर सकते हैं। उन्होंने किसानों की इस मांग को मान लिया कि इस वार्ता में तय हुई बातों को प्राधिकरण लिखकर देगा। इसके बाद किसान नेताओं ने मिनिट्स ऑफ मीटिंग मिलने पर धरना स्थगित करने के संकेत दिए।
उल्लेखनीय है कि 120 दिनों से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर चल रहे किसानों के इस धरने के दौरान कई उतार चढ़ाव आए।तीन दर्जन किसान नेताओं को जेल भेजकर जबरन धरना उठा दिया गया। किसान फिर धरने पर आ बैठे तो क्षेत्रीय विधायक तेजपाल नागर ने उन्हें सहमति से उठाने के लिए असफल मध्यस्थता की। उनके बाद सांसद सुरेंद्र नागर ने गत 24 जून को किसानों को उनकी सभी मांगों को मनवाने का आश्वासन देकर अगले दिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान कोई उग्रता न दिखाने के लिए राजी कर लिया। फिर बार बार बुलाने पर भी सुरेंद्र नागर सामने नहीं आए। किसानों के द्वारा बुरा भला कहने पर सुरेंद्र नागर और जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर मोर्चा संभाला परंतु नेकनीयत के अभाव में असफल रहे। अंततः किसानों ने खुद मोर्चा संभाला और आज की वार्ता तक पहुंच गये। बताया जा रहा है कि किसान नेताओं को लंबे खिंचते धरने को संभालना जहां मुश्किल हो रहा था वहीं प्राधिकरण अधिकारियों के लिए भी यह सिरदर्द बना हुआ था। तो फिर पोर्ट्स माउथ की ऐतिहासिक संधि दोहराने के अलावा कोई चारा नहीं था।