आशु भटनागर I भाजपा के गौतम बुध नगर सांसद डॉ महेश शर्मा को लगातार कुछ लोग टारगेट कर रहे हैं राजनीति का स्तर इतना गिर तो देख दुख होता है कम से कम राजनीति तो स्वस्थ तरीके से करो यह बयान डॉ महेश शर्मा के समर्थन में गौतम बुध नगर जिले के बिसरख मंडल अध्यक्ष रवि भदौरिया ने ट्विटर पर दिया जिसके बाद सोशल मीडिया पर डॉ महेश शर्मा के खिलाफ चल रही राजनीति पर चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है सवाल प्रश्न यह भी उठ रहे हैं कि क्या डॉक्टर महेश शर्मा के खिलाफ वाकई कोई साजिश चल रही है ? क्या डॉ महेश शर्मा जिले में चल रही जातीय राजनीति के चक्रव्यूह में फंस चुके हैं
त्यागी, ब्राह्मण, ठाकुर, गुर्जर के जातीय संघर्ष में अकेले क्यों फंस रहे डा महेश शर्मा
गौतम बुध नगर की राजनीति को अगर समझो तो डॉक्टर महेश शर्मा के उदय के साथ ही इस तरीके के तमाम विवाद सामने आते रहे 2007 में जब डॉक्टर महेश शर्मा ने राजनीति में उतरने का प्रयास किया तो यहां पर स्थानीय बनाम बाहरी का विवाद बनाकर डॉ महेश शर्मा को निशाने पर लिया गया । बाद में 2012 में विधायक बनने और उसके बाद सांसद बनने के बाद जिले की राजनीति में उनका विरोध ब्राह्मण वाद को बढ़ावा देने के नाम पर लगातार हुआ हालांकि यह भी सच है कि ब्राह्मण संगठनों और ब्राह्मण नेताओं को डॉ महेश शर्मा ने जिले की भाजपा की राजनीति में काफी महत्व दिया आज भी उनके जनप्रतिनिधि अधिकांश ब्राह्मण ही होते हैं लेकिन उसके बावजूद डॉक्टर महेश शर्मा ने सभी जातियों के साथ मिलकर अपना समन्वय बनाए रखा ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि अचानक 2017 के बाद डॉ महेश शर्मा लगातार जातीय विवाद में अपने विरोधियों के निशाने पर क्यों हैं ?
2024 में सांसद के टिकट के लिए है सारी जोड़तोड़
डॉ महेश शर्मा के लगातार बढ़ते विरोध के पीछे भाजपा के ही नेताओं के नाम सामने आने के बाद समझा जा रहा है कि यह लड़ाई जातीय विरोध और विद्वेष के कम दरअसल दशक भर से गौतम बुध नगर में अपना प्रभाव जमाए डॉ महेश शर्मा को उखाड़ फेंकने की ज्यादा है जिले की घटनाओं को दशक भर से देख रहे एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि यह तो स्पष्ट है कि डॉ महेश शर्मा के व्यक्तित्व के आगे विपक्षी दलों तो छोड़िए बीजेपी में भी बाकी नेता कभी स्थापित नहीं हो पाए डॉक्टर महेश शर्मा के उदय के बाद जिले की राजनीति उनके अनुसार ही चलती रही है ऐसे में जब 2017 में जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने लगातार अपना प्रभाव जिले में बढ़ाना शुरू करा तब से यह चर्चाएं शुरू हुई थी क्या धीरेंद्र सिंह डॉक्टर महेश शर्मा की जगह चुनाव लड़ना चाहते हैं धीरेंद्र सिंह के समर्थकों ने भी इसे सोशल मीडिया पर कभी नहीं छुपाया और लगातार यह संकेत दिए कि धीरेंद्र सिंह 2024 में सांसद का चुनाव लड़ना चाहते हैं इन्हीं सब मुद्दों को लेकर लगातार सोशल मीडिया पर दोनों के समर्थकों के बीच जो प्रतिस्पर्धा शुरू हुई वह अब इस स्तर तक आ गई है कि लगातार डॉक्टर महेश शर्मा पर जातीय चक्रव्यूह कसता जा रहा है हालात यह हैं कि चाहे वह श्रीकांत त्यागी प्रकरण में त्यागी बनाम ब्राह्मण हो चाहे वह लोकमन प्रधान प्रकरण में ब्राह्मण बनाम क्षत्रिय हो गया हो लेकिन सच यही है कि डॉ महेश शर्मा बीते कुछ समय से अपने विरोधियों के मुकाबले कमजोर साबित हो रहे हैं और लगातार होते हमलों से डॉक्टर महेश शर्मा की छवि पर भी असर पड़ रहा है
क्या भाजपा नेतृत्व गुटबंदी को देख पा रहा है या उसने बनाया है कुछ नया समीकरण
ऐसे में एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि आखिर 2024 में टिकट किसको मिलेगा गौतम बुध नगर में भाजपा समेत सभी दलों में 2024 के टिकट के लिए दौड़ शुरू हो चुकी है माना यह जा रहा है कि कांग्रेस में जहां एक और विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी पंखुड़ी पाठक दोबारा लोकसभा से टिकट पाने के जुगाड़ में लगी हैं वहीं कांग्रेस से ही बड़ा महिला नाम इस सीट पर सामने आ रहा है माना यह जा रहा है कि रागिनी नायक भी इस बार लोकसभा से यहां अपनी दावेदारी कर सकती हैं हालांकि रागनी का अभी कोई बयान या इस तरीके का संकेत नहीं दिया गया ठीक इसी तरह समाजवादी पार्टी से भी कई नाम सामने आ रहे हैं ।
तो भाजपा में डा महेश शर्मा को टिकट मिलेगा या नहीं मिलेगा इसकी भी बातें शुरू हो गई है माना यह जा रहा है कि भाजपा के नेताओं में आपसी मतभेद और लगातार उजागर हो रही लड़ाइयो के मद्देनजर संगठन इस बात पर भी विचार कर रहा है क्यों ना धीरेंद्र सिंह और डॉ महेश शर्मा दोनों को ही टिकट ना दिया जाए और उसकी जगह किसी ऐसे चेहरे को लाया जाए जिससे गौतम बुध नगर में चल रही सियासी और जातीय गुट बंदी समाप्त हो ताकि भाजपा का मजबूत गढ़ कहां जाने वाला गौतम बुध नगर जिला भाजपा के हाथ से ना निकले ।
कदाचित इसीलिए डॉ महेश शर्मा को त्रिपुरा का प्रभारी पद दिया गया ताकि उनको धीरे-धीरे गौतम बुध नगर की राजनीति से अलग किया जा सके माना यह भी जा रहा है कि भाजपा एक रास्ता यह भी कर सकती है कि डॉ महेश शर्मा को राज्यसभा से टिकट दे दिया जाए और यहां पर उनकी सहमति से उनके किसी बाहरी नए नेता को टिकट दिया जाए ऐसे में डॉक्टर महेश शर्मा win-win सिचुएशन में रहेंगे एक तरफ विरोधी उनको सांसद ना बनवा कर भी सांसद पद से नहीं हटा पाएंगे और दूसरी तरफ जो नया प्रत्याशी आएगा उसके लिए भी डॉक्टर महेश शर्मा का समर्थन जरूरी होगा ।
लेकिन क्या वाकई सब कुछ इतना आसानी से संभव हो जाएगा ? क्या वाकई डॉक्टर महेश शर्मा के ऊपर आने वाले साल भर में राजनीतिक तौर पर जातीय चक्रव्यू रचे जाते रहेंगे यह भविष्य के गर्त में छिपा है I