शहर में आवारा कुत्तों के बच्चों बुजुर्गों और महिलाओं को काटने की घटनाएं इतनी बढ़ गई कि लोगों में कोर्ट के आदेश और अथॉरिटी का डर खत्म होने लगा है। हालात ये हो गए है कि लोग संगठित होकर अब आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम जताने वाले कुत्ता प्रेमी लोगों और संगठनों के खिलाफ खुलकर खड़ा होना शुरू हो गए हैं ।
कहते है मजबूर को इतना मत डराओ कि वो फिर डरना ही छोड़ दे । महज कुछ साल पहले तक जहां आम लोग इन संस्थाओं और कोर्ट के नाम से डरते थे वो अब आवारा कुत्ता प्रेमियों द्वारा लगातार बढ़ते दबाव के कारण मुखर हो गए है । लोग अब ऐसी संस्थाओं से फोन करने वाली महिलाओं से सीधा सवाल पूछने लगे हैं कि अगर कुत्तों के अधिकार है तो ह्यूमन राइट्स का क्या ? आवारा कुत्ता अगर इंसान पर हमला करें और वह रैबीज से मर जाए तो उसका जिम्मेदार कौन ?
ध्यान रहे कि भारत में रेबीज के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है और रेबीज जैसी बीमारी के कारण लोगों के मरने की दर 100 प्रतिशत है यानी समय पर अगर इलाज ना मिले तो इंसान मारता ही है
सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट से होता है वार
ऐसे में सोशल मीडिया पर एक कुत्ता प्रेमी वर्ग तैयार हो चुका है तो दूसरा कुत्तों और कुत्ते प्रेमी लोगों से प्रताड़ित लोगों का बड़ा वर्ग तैयार हो गया है हालात यह हो गई है कि खुद को हाई सोसाइटी में कहने वाले इन लोगों ने शब्दों और संबोधन की सारी मर्यादाओं को तार-तार करना शुरू कर दिया है एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कोई भी किसी हद तक गिर जाने को तैयार है लगातार फेक टि्वटर अकाउंट बनाए जा रहे हैं और उससे इस लड़ाई में जीतने की तैयारियां हो रही हैं । सोशल मीडिया से लेकर आम जनता तक जहां कुत्ता प्रेमी लोग यह तर्क देते हैं कि कोर्ट के आदेश के कारण कुत्तों को कहीं भी खाना खिलाने से नहीं रोका जा सकता वही कुत्तों से पीड़ित लोगों का तर्क है कि कोर्ट ने यह भी कहा है कि लोगों के आने जाने वाले रास्ते पर कुत्तों को खाना नहीं खिलाया जा सकता ऐसे में दोनों ही पक्ष अपने-अपने बातों को सही और दूसरे के तर्क को गलत साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत आरोप चरित्र हनन के तमाम दावे करते हैं । सोशल मीडिया पर कुत्ता प्रेमी जहां रोज नए फ़ेक अकाउंट बना रहे है तो अब पीड़ित लोग भी इसका जबाब उसी तरह से देने लगे है I
स्थानीय प्रशासन कोर्ट के आदेश और नियमों का हवाला देकर आम जनता को करता है निराश, पहुंच रहे है कोर्ट
आवारा कुत्तों के काटने और हमलों से लगातार प्रताड़ित आम लोगों की समस्या यह भी है कि कुत्तों के द्वारा हमला करने के बाद उनकी सुनवाई पुलिस नोएडा या ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और जिला प्रशासन कहीं भी नहीं होती है हां कुत्ते को हमला करने के बाद मारने की दशा में जरूर कुत्ता प्रेमियों की शिकायत और बड़े राजनीतिक दबाव के बाद पुलिस ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने लगती है जिसके बाद लोगों में गुस्सा और नफरत दोनों बढ़ रहे हैं I सेक्टर 137 में 8 महिलाओं ने जहां सुप्रीम कोर्ट में कुत्तों के मुद्दों पर अपनी अपील लगाई तो हाईकोर्ट में सरदार जोगिंदर सिंह ने व्यक्तिगत रूप से एक याचिका डाल दी है उनका कहना है कि सार्वजनिक जगह पर लोगों द्वारा खाना देने पर आक्रामक घटनाएं होती हैं जबकि लोगों ने ऐसी जगहों पर खाना देने से मना किया है लेकिन डॉग फीडर इन बातों को नहीं मानते हैं और समाज में इसको लेकर कानून व्यवस्था बिगड़ने को तैयार है
कुत्तों की नसबंदी हो रही है : प्रशासन
नोएडा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में जब भी कुत्तों को लेकर सवाल पूछे जाते हैं तो अधिकारियों के जवाब बेहद स्पष्ट होते हैं कि हम कोर्ट के निर्देशानुसार पशु क्रूरता अधिनियम के चलते ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं ऐसे में नसबंदी कराई जा रही है उसके लिए संस्थाएं अप्वॉइंट कर दी गई हैं ग्रेटर नोएडा में तो नसबंदी के लिए भी आरडब्लूए और AOA को एक चौथाई खर्चा देना पड़ता है लेकिन कोई भी अथॉरिटी और उसके अधिकारी यह बताने को तैयार नहीं कि अगर लगातार नसबंदी या हो रही हैं तो फिर नए कुत्ते कहां से आ रहे हैं ।
कुत्तों की आबादी की ग्रोथ को लेकर एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर किसी क्षेत्र में 2 महीने के अंदर सारे कुत्तों को नहीं मारा जाता तो वह फिर से उतनी ही आबादी को जन्म दे देते हैं ऐसे में अधूरे नसबंदी प्लान शहरों में कुत्तों की आबादी को बिल्कुल खत्म नहीं होने दे रहे हैं क्योंकि लोगों के अनुसार इसी में इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को फायदा है
जानबूझकर नए कुत्तों को सोसायटिओ और सेक्टर में लाते हैं कुत्ता प्रेमी : रवि भदौरिया
वही एनसीआर खबर एक कार्यक्रम में बिसरख से भाजपा नेता रवि भदौरिया ने स्पष्ट रूप से कहा कि तथाकथित कुत्ता प्रेमी महिलाएं जानबूझकर सोसाइटी में नए-नए कुत्तों को लाती हैं ताकि सोसाइटी में ऐसे विवाद उत्पन्न हो यह महिलाएं कुत्तों के मामले में विरोध करने पर लोगों पर झूठे आरोप तक लगाने में माहिर हैं बीते दिनों इको विलेज 2 में ऐसी ही एक घटना में एक महिला ने 200 लोगों पर मॉब लिंचिंग और अश्लील हरकत करने का आरोप लगाया था जिसे पुलिस ने जांच के बाद गलत बताया जिसके बाद यह सवाल भी उठे कि आखिर यह सिर्फ कुत्ता प्रेम है या इसके पीछे कोई और भी मामला है
एक कुत्ते काटने पर सारे कुत्ते बुरे कैसे : कुत्ता प्रेमी महिलाएं
वही कुत्ता प्रेमी महिलाओं के अलग ही तर्क है उनका कहना है कि सोसाइटी में लोग कुत्तों को खाना नहीं खिलाने देते हैं अगर लोग कुत्तों को खाना खिलाने दें तो कुत्ते आक्रामक नहीं हो । कुत्ता प्रेमी लोग कुत्तों के प्रति प्रेम के लिए तमाम हिंदू धर्म के उदाहरण देते है और फिर मानवीय ताकि बातें भी करते हैं । कुत्ता प्रेम महिलाओं के तर्क हैं कि कुत्ते जहां पैदा हो जाते हैं वहीं से उनकी टेरिटरी बन जाती है लेकिन वह यह नहीं बता पाते कि अगर उनकी संस्थाएं जानवरों के लिए हैं तो उसमें सिर्फ कुत्ते को लेकर ही इतने प्रेम क्यों हैं सोसाइटी के अंदर गाय, भेड़, बकरी इन सब को अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है I
जिले में कार्य नहीं करता एसपीसीए ?
कमाल की बात यह है कि कुत्तों से जुड़ी समस्याओं के लिए जिस एसपीसीए की जरूरत जिले में हैं वो एसपीसीए 2017 के बाद इन एक्टिव मोड में है ऐसे में अथॉरिटी के साथ डॉग मॉनिटरिंग कमेटी में भी इन्हीं एनजीओ के लोग बैठे हैं जो लोगों की समस्याओं से अलग कुत्तों और कुत्ते प्रेमियों के हित में अधिकारियों से नियम बनवाने में लगे रहते हैं सवाल ये है कि डॉग मोनिटेरींग कमेंटी मे सिर्फ कुत्ता प्रेमी ही क्यूँ, बाकी समाज सेवी क्यूँ नहीं ?
नाम ना छापने की शर्त पर अथार्टी के ही एक अधिकारी का यह कहना है कि अगर सोसाइटी में आवारा कुत्तों को लेकर चल रहे चंद कुत्ता प्रेमियों और आम जनता के बीच के इस बढ़ रहे संघर्ष को नहीं रोका गया तो ये संघर्ष सोशल मीडिया से जमीनी रूप पर गलत रूप ले सकता है जिसका फैसला प्रशासन पुलिस और कोर्ट को समय रहते करना चाहिए । अन्याय कुत्तों के साथ हो या आम जनता के साथ किसी के भी साथ स्वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि किसी भी जानवर से प्रेम के लिए इंसान और उसकी पूरी जाति को दांव पर नहीं लगाया जा सकता ।