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कांवड यात्रा पर रोक को लेकर योगी आदित्यनाथ और पुष्कर सिंह धामी आमने सामने, क्या पुष्कर सिंह धामी वामपंथी पत्रकारों के दबाव मे विपक्ष की लाइन लेते दिख रहे है ?

उत्तराखंड सरकार के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भाजपा की परंपरागत छवि के खिलाफ जाकर कांवड यात्रा को निरस्त करने के आदेश के साथ ही एक बार फिर भाजपा सरकार संकट में दिखने जा रही है । दरअसल इस बार मामला उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच होता जा रहा है ।

भाजपा के फायर ब्रांड हिंदूवादी नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड यात्रा को अनुमति दे दी है । जिससे हिसाब से यूपी से होते हुए दिल्ली, यूपी और हरियाणा के शिव भक्त सावन में हरिद्वार से जल लेने जा सकते है हालांकि उनके पास नेगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट होना जरूरी है । लेकिन उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के कांवड़ पर रोक से दोनो सरकारों के बीच प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है ।

कोरोना के नाम पर उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा को रद्द किए जाने के फैसले के बाद हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने चेतावनी जारी की है कि मेले के दौरान हरिद्वार जनपद की सभी सीमाएं सील रहेंगी। इसलिए कोई भी भक्त जल भरने हरिद्वार न पहुंचे । जनपद में प्रवेश का प्रयास करने वालों के वाहन जब्त कर लिए जाएंगे और नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही करेगी।

आखिर क्या रिश्ता है उत्तराखंड से कावड़ का ?

असल में लोगों का सवाल यह है कि आखिर उत्तराखंड की ना से कांवड़ और शिव भक्तों को क्या परेशानी है तो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन की शिवरात्रि पर शिव भक्त हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने अपने घरों तक लाते हैं और आज के शिव मंदिर में चढ़ाते हैं तभी वह यात्रा पूरी मानी जाती है लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा हरिद्वार में ना घुसने देने के फैसले से करोड़ों शिव भक्तों की आस्था और उनकी भक्ति पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। इस साल कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से 6 अगस्त के बीच चलेगी। आंकड़ों के अनुसार लगभग दो से तीन करोड़  कांवड़िए पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई जगहों से जल भरने आते है इसके अलावा हरिद्वार आने वाले बाकी कांवड़िए दिल्ली, हरियाणा एवं राजस्थान के होते हैं। ऐसे कोरोना की तीसरी लहर के नाम पर एक पूरे धार्मिक कार्यक्रम को रोकने के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेशों को लेकर 3 राज्यों के लाखों से भक्तों में आक्रोश हो सकता है वही लोग अब इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि 16 जुलाई को कोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पर क्या ज़बाब देते है

हरिद्वार के विकल्प के तोर पर नहीं विकसित हो पाया छोटा हरिद्वार के नाम से प्रसिद्ध गड़ गंगा क्षेत्र

हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों के बावजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छोटा हरिद्वार कहा जाने वाला गढ़ गंगा अभी तक इस तरीके से विकसित नहीं हो पाया है कि ऐसी परिस्थितियों में लोगों को वहां से गंगाजल दिया जा सके । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आने वाले समय में इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित करना बहुत जरूरी रहेगा। आपको बता दें कि बिहार और झारखंड के क्षेत्र में लोग सुल्तानगंज से जल लाकर देवधर में भोले बाबा को अर्पित करते हैं ऐसे में आने वाले समय में हरिद्वार के ऊपर कावड़ियों का संख्या को कम करने के लिए इस को विकसित करना बहुत जरूरी कदम हो सकता है जिससे उत्तर प्रदेश सरकार को उत्तर प्रदेश में जहां एक और धार्मिक पर्यटन स्थल विकसित करने में आसानी रहेगी वहीं महज 100किमी दूर फिल्म सिटी होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया स्वत: संज्ञान

वहीं कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा आज अखबार देखने पर हमें इस बात पर परेशानी हुई कि कोविड-19 संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को जारी रखने का निर्णय लिया है, वहीं पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने इस वर्ष कांवड़ यात्रा की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। हम उस सम्मानित राज्य  की राय जानना चाहते हैं। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना की तीसरी लहर के बारे में आगाह करने के बावजूद ऐसा हो रहा है।”

सुप्रीम कोर्ट में 16 जुलाई को यूपी सरकार क्या जवाब दाखिल करेगी यह तो तभी पता लगेगा लेकिन इसी के साथ सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ के समर्थकों और तथाकथित प्रगतिशील लोगों के बीच सियासत शुरू हो गई है और इससे सियासत के बीच उत्तराखंड के नए निर्वाचित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर वामपंथियों के एजेंडे से प्रभावित होने के आरोप भी लगने शुरू हो गए है

क्या पुष्कर सिंह धामी वामपंथी पत्रकारों के दबाव में है

वहीं उत्तराखंड के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कांवड़ यात्रा पर रोक के बाद लोगों के द्वारा यह भी सवाल उठाया जा रहा हैं कि क्या वाकई पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी और वामपंथी दलों से जुड़े पत्रकारों के दबाव में ऐसा निर्णय ले रहे हैं ? या फिर यह कुंभ के दौरान उत्तराखंड के पत्रकारों द्वारा मचाए गए प्रोपेगेंडा के कारण बचने की कवायद की जा रही है दरअसल पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह में कई ऐसे पत्रकार उनके साथ दिखाई दिए हैं जो लगातार एंटी भाजपा कैंपेन में लगे रहते हैं और यह माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं पुष्कर सिंह धामी अभी भी उनकी सलाह पर ही ऐसे निर्णय ले रहे हैं जो आने वाले विधान सभा चुनावों में भाजपा के लिए नुकसान दायक हो सकते है ।

उत्तराखंड मे कई वामपंथी पत्रकार पुष्कर सिंह धामी के इस निर्णय की तारीफ करते दिख रहे हैं लेकिन भाजपा का परंपरागत वोटर और 2 राज्यों में भाजपा की सरकारें इस निर्णय को लेकर आमने सामने खड़ी होती नजर आ रही है जिसका दुष्परिणाम दोनों ही राज्यों में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनावों में हो सकता है

NCRKhabar Mobile Desk

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