अयोध्या विवाद में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला : सुन्नी वक्क्फ़ बोर्ड को दी अयोध्या में ५ एकड़ वैकल्पिक ज़मीन, विवादित ज़मीन राम जन्म भूमि न्यास को, सरकार श्री राम मंदिर के लिए बनाए ट्रस्ट

राजनीतिक सामाजिक और धार्मिक  रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कई साल से कानूनी लड़ाई में उलझे देश में सबसे चर्चित अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसला सुनाया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने 40 दिन तक मैराथन सुनवाई करने के बाद गत 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अब 9 नवंबर को कोर्ट ने कहा सुन्नी वक्क्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ५ एकड़ वैकल्पिक ज़मीन दी जाए, विवादित ज़मीन राम जन्म भूमि न्यास को दी जाए , मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट बनाने के आदेश दिए है I इसके बाद से ही राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो गया है

इससे पहेल अपने फासले को पढ़ते हुए CJI रंजन गागोई  ने शिया वक्फ बोर्ड , निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोल्ड तीनो के दावों को ही खारिज किया I रंजन गागोई ने अपने फासले से फहले साफ़ कहाँ की फैसला तथ्यों पर है , ज़मीन के मालिकाना हक़ का है , आस्था और भावना पर नहीं I उन्होंने  कहा आस्था विश्वाश पर मालिकाना हक़ नहीं बनता, १२ वी से १६ वी सदी में क्या था इसका सबूत नहीं है I लेकिन राम चबूतरा सीता रसोई  के प्रमाण हैं , हिन्दू बाहरी जगह पर पूजा करते थे 1856 से पहले हिन्दू भी अंदरूनी हिस्से में पूजा करते थे। रोकने पर बाहर चबूतरे की पूजा करने लगे। हिन्दू मुख्य गुंबद के नीचे गर्भगृह मानते थे। इसलिए रेलिंग के पास आकर पूजा करते थे उन्होंने साफ़ किया कि अयोध्या मामले: भगवान श्री राम अयोध्या में पैदा हुए ये विवाद नहीं है

उन्होएँ asi की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि अयोध्या मामले में ASI रिपोर्ट महत्वपूर्ण है , बाबरी खाली ज़मीन पर नहीं बनाई गयी उन्होंने ये भी कहा की बाबर के वक्त मीर बांकी ने ये मस्जिद बनाई : CJI , २२ दिसम्बर १९४९ को ये मूर्ति रक्खी गयी