जम्मू-कश्मीर में होने वाली कार्रवाई का इशारा प्रधानमंत्री मोदी पहले ही दे चुके है इस वर्ष अप्रैल में ‘आज तक’ को दिए गए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा था कि “जम्मू-कश्मीर हज़ारो साल से हिंदुस्तान का हिस्सा है. हज़ारो साल से हिंदुस्तान के लोगो की तपस्या का केंद्र रहा है. ये कोई एग्रीमेंट है क्या? हमने कोई सौदा किया है क्या?”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि “हम मानते है कश्मीर का सबसे बड़ा नुकसान इन धाराओं (370 और 35 A) ने किया है. अब वहां के लोगो को भी समझ में आया है कि वहां पर एक बहुत बड़े बदलाव की आवश्यकता है.”
मैंने एक पोस्ट में लिखा था कि आने वाले समय में एक “बहुत बड़े बदलाव” की झलक दिखलाई दे रही है.
फिर जुलाई में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में स्पष्ट कहा कि धारा 370 अस्थाई है, यह हमारे संविधान का अस्थाई मुद्दा है. (दूसरे शब्दों में अगर कोई व्यवस्था अस्थाई है तो उसे समाप्त किया जा सकता है.)
गृह मंत्री ने चेतावनी दी कि जो भारत के साथ कश्मीर के जुड़ाव को स्वीकार नहीं कर सकते, जो भारत के संविधान को नहीं मानते हैं, उनके लिए इस सरकार की योजना में कोई जगह नहीं है. उन पर कठोरता भी होगी, और उन्हें कठिनाइयां भी होंगी. जब तक हम यह अप्रोच नहीं लेंगे तब तक हम इस समस्या को समाप्त नहीं कर पाएंगे.
उन्होंने कहा कि “(कश्मीर) घाटी, घाटी, घाटी करते है. घाटी हमारी है भाई….इसमें किसी को संदेह नहीं रखना चाहिए, शंका नहीं रखनी चाहिए.”
गृह मंत्री ने आगे कहा कि जिनके मन में भारत का विरोध है उनके मन में डर पैदा ही होना चाहिए. जो इस देश को तोड़ना चाहते हैं उनके मन में डर होना चाहिए. हम टुकड़े-टुकड़े गैंग के मेंबर नहीं हैं.
फिर मैंने एक पोस्ट में लिखा था कि कश्मीर “की” कोई समस्या नहीं है. समस्या कश्मीर “में” है.
कश्मीर “में” समस्या को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास बनाए रखें
अमित सिंघल की फेसबुक वाल से