जाट हिंसक आन्दोलन पर अजित सिंह को एक आम आदमी का जबाब -आर एन श्रीवास्तव
श्रीमान चौधरी अजीत सिंह जी, अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक दल,
एक दैनिक अख़बार में आपके दिए गये इंटेरव्यू में आपके जाट आंदोलन के संबंध में विचार पढ़े. आपने इस हिंसक आंदोलन को हक़ की लड़ाई बताया है.. जाट समाज को शेष समाज में एक मज़बूत, शक्तिशाली, संपन्न, शिक्षित समुदाय के रूप में देखा पहचाना जाता है. जाट आंदोलन के दौरान अनेक सोशल मीडिया में दिए गये विवरण के अनुसार हरियाणा में कुल मिनिस्टरों में 63% जाट हैं, कुल पोस्टेड जजों में से 71% जाट जज है, कुल पोस्टेड आई ए एस में से 60% जाट आई ए एस है, कुल पोस्टेड आई पी एस में से 69% जाट आई पी एस है, बाकी सरकारी और एलायड अफसरों में से 58 % जाट हैं. कुल पैट्रोल पंप में से 43% जाटों के पास हैं. कुल जारी हथियारों के लाइसेँसों में 69% जाट समुदाय के पास हैं. लाखों करोड़ों की संपत्तियाँ हैं. यह सूचना केवल हरियाणा के जाटों के संबंध में है.
आपके क्षेत्र के जाटों की संपन्नता भी किसी से छुपी नहीं है. फिर भी आप जाट समुदाय के लिए आरक्षण की वकालत कर रहे हैं. आपने शायद अमेरिका में कंप्यूटर की शिक्षा ली थी. स्व. चौधरी चरण सिंह जी की विरासत सम्हालते हुए आप जाट समुदाय के हितों के लिए संघर्षरत हैं. आपको इतना सुविधा संपन्न जाट समुदाय आरक्षण के योग्य किस आधार पर लगता है यह किसी की भी समझ नहीं आ रहा है.
हरियाणा में जाटों ने आरक्षण की माँग पूरी करवाने के लिए अनेक लोगों के शो रूम, घर, दुकानें और करोड़ों की सरकारी और निजी संपत्ति को जला दिया और नष्ट कर दिया. पढ़ा लिखा समाज जिन कामों की निरंतर निंदा करता है, वह सब इस आंदोलन में किया गया. आरक्षण की लड़ाई में भी निर्दोष व्यापारियों, नौकरीपेशा लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुँचा दिया गया. दिल्ली को भेजा जाने वाला पानी भी रोक लिया गया. इसे गदर या देश द्रोह या आतंक नहीं तो क्या कहा जा सकता है. सारा देश जातीय कटुता और वैमनस्य की कड़वाहट झेल रहा है. जाट युवकों को इस प्रकार की अनुशासनहीनता के लिए छूट देकर और आरक्षण लिए हो रहे आंदोलन को समर्थन देकर आपको लगता नहीं कि इस सामाजिक हानि के लिए आपकी सहभागिता भी हो गई है.
एक बार तो देश के किसी नेता से यह सुनने को मिल जाता कि आरक्षण सक्षम, संपन्न और शक्तिशाली की बैसाखी नहीं है. राष्ट्रीय नेता बनाने का स्वप्न देखने वाले, पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र होने के नाते कभी तो, कहीं तो, राष्ट्र हित की बात और सलाह की अपेक्षा आपसे की जा सकती है. घर में संकट आजाए तो सब सदस्य मुखिया के साथ खड़े हो जाते हैं. आपने गाँव में एसे कई उदाहरण देखे होंगे. दलीय राजनीति के कारण आप प्रधान मंत्री को सहायता का आश्वासन नहीं दे सकते थे तो कम से कम जाटों के बीच में जाकर तो उन्हें मार्गदर्शन दे देते. इन्हें यह बताना क्या ज़रूरी नहीं है कि आरक्षण से पढ़ने लिखने वाले जाट भी आरक्षण के कारण पढ़ना छोड़ देंगे. पीढ़ियाँ नौकरों की तो बन जाएँगी लेकिन समझदार लोगों की नही बनेगी.. आरक्षण एसे ही फैलता रहा तो देश की प्रतिभाओं का क्या होगा.
आरक्षण श्रेणी में बने डाक्टरों, इंजीनियरों की योग्यता को लेकर अनेक चर्चाएँ होती रहती हैं. दफ़्तरों में आरक्षण से भरती हुए बाबुओं को लोग विचित्र नज़र से देखते हैं. जाट युवकों को कहाँ खड़े करना चाहते है. अनेक विपरीत परिस्थितियों में रहने के बावजूद भी सिक्ख, पाकिस्तान से आए पंजाबी समाज या पारसी समाज या अन्य भी कुछ एसे ही अल्पसंख्यक समुदायों ने अपने बल पर स्वयं को तैयार किया लेकिन कभी आरक्षण नहीं माँगा. जाट समुदाय किस जाति से कमजोर पाते हैं आप.
एक सशक्त देशभक्त समाज के सृजन में, गठन में आप सरीखे पढ़े लिखे नेताओं की बेहद आवश्यकता है. भविष्य का भारत केवल योग्यता के आधार वाला अनुशासित देश बनाना चाहिए आरक्षण से चलने वाली पीढ़ी क्या स्वस्थ सोच दे पाएगी. सोशल मीडिया समाज को तोड़ने वाले संदेशों से भरता जा रहा है. आज देश विचित्र जातीय वैमनस्य और घृणा के वातावरण को झेल रहा है. रोकिए इसे– जाटों को पथभ्रष्ट होने से रोकिए. केवल आर्थिक आधार पर या विकलांगों के लिए ही आरक्षण की पैरवी करिए. भविष्य का भारत केवल योग्यता के आधार वाला अनुशासित देश बनाना चाहिए राष्ट्र हित में देश के साथ आइए– अब किस लाभ हानि का आकलन कर रहें हैं. आपका स्तर हानि लाभ से उपर उठ चुका है. अभी रोक नही पाए या समझा नहीं पाए तो कभी नहीं कर पाएँगे. स्वस्थ राष्ट्र निर्माण में अपनी राष्ट्रीय भूमिका स्वयं निर्धारित कीजिए.
आर एन श्रीवास्तव,नोएडा.
(Today I read the extracts of interview of Chaudhary Ajit Singh, President Rashtriya Lok dal w.r.t. the agitation of Jat Community in Hariyana and around. I have sent a letter on the facebook page of Chaudhary Ajit Singhji. Same letter is reproduced below for all my friends,,,)