नेपाल की धमकी, चीन का रुख करने पर मजबूर न करे भारत

नेपाल ने रविवार को भारत से कहा कि पेट्रोलियम और अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा डाल कर उसे इस तरह से मजबूर न करे कि उसे तमाम दिक्कतों के बावजूद चीन की तरफ जाने को मजबूर होना पड़े।

भारत की ओर से नेपाल के नेतृत्व को दिए गए इस आश्वासन पर कि जल्द से जल्द हालात का समाधान होगा, नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा, ‘उन्हें (भारत) एक समय अवधि देना चाहिए। मतलब ये कि कितने घंटे, हफ्ते या महीना?’

उन्होंने कहा, ‘अगर आप हमें मजबूर करेंगे या जैसा कि आप कहते हैं मरता क्या ना करता तो हम दूसरे देशों से संपर्क करने को विवश हो जाएंगे।’ साथ ही कहा, ‘हालांकि, सामान भेजने संबंधी दिक्कतें है लेकिन अगर कोई विकल्प नहीं बचता तो नेपाल चीन सहित अन्य देशों से संपर्क करेगा।’

उपाध्याय ने कहा कि नेपाल जरूरी सामान की आपूर्ति में आ रही बाधा पर भारत को अपनी चिंताएं बता चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई दिल्ली मामले को जल्द सुलझा लेगा खासकर यह देखते हुए कि हिमालयी देश में दशहरा और दिवाली जैसा त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

हाल में हुए भारत विरोधी प्रदर्शनों पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा, ‘भारत ने जब भूकम्प के समय नेपाल की मदद की थी तब नेपाल में हर किसी ने उनकी प्रशंसा की और उनका शुक्रिया अदा किया लेकिन जब आपूर्ति में बाधा आएगी तो लोग प्रतिक्रिया देंगे और प्रदर्शन करेंगे। यह स्वाभाविक है।’

नेपाल में भारत विरोधी प्रदर्शन हुए हैं ऐसा इसलिए कि उन लोगों को लगता है कि उनकी सरकार द्वारा नए संविधान को लागू किए जाने के कारण उनसे बदला लिया जा रहा है क्योंकि भारत का मानना है कि नेपाल के सीमाई राज्यों में रहने वाले मधेशी, जातीय मूल के भारतीय समुदाय के साथ भेदभाव हुआ है और उसने साफ तौर पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की।

नेपाल का संविधान मसविदा तैयार होने के दौरान मधेशियों ने इन इलाकों में हिंसक प्रदर्शन भी किया था। जबर्दस्त समर्थन से संविधान पारित किए जाने के कुछ घंटे बाद ही हिंसा शुरू हो गई और जरूरी रसद लेकर काठमांडो की तरफ जाने वाले ट्रकों को रोक दिया गया।

खबरों के मुताबिक दवाई, गैसोलीन, रसोई ईंधन एवं उत्पाद सहित अन्य सामानों के साथ सैकड़ों ट्रक सीमा पर इंतजार में खड़े हंै। भारत ने उन सुझावों को खारिज किया है कि उसने नेपाल को आपूर्ति में किसी तरह का अवरोध डाला है और उल्लेख किया है कि उनके देश में विरोध प्रदर्शन और अशांति से दिक्कतें आ रही है क्योंकि भारतीय कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को अपनी हिफाजत और सुरक्षा का डर है।

बहरहाल, नेपाली दूत ने कहा कि उनकी सरकार ने भारत को आश्वासन दिया है कि नेपाल में प्रवेश करने पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल सरकार की किसी भी भूल से पैदा हुई नकारात्मकता को भारत भूल जाए और सकारात्मक तरीके से आगे बढ़े जो कि दोनों देशों के लिए लाभकारी रहेगा क्योंकि दोनों देशों का मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध है।

दूत ने इस पर भी रोष प्रकट किया कि इंडियन ऑयल के साथ रक्सौल के आईओसी डिपो से नेपाल के लिए पेट्रोल, डीजल, घरेलू एलपीजी और विमान ईंधन (एटीएफ) भेजे जाने को लेकर समझौते के बावजूद वह उसकी आपूर्ति नहीं कर रही है।

आईओसी ने 275 करोड़ रुपए में तेल पाइपलाइन बिछाने के लिए इस साल नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन (एनओसी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था। तेल और गैसोलीन आपूर्ति कम होने से नेपाल ने यातायात आवाजाही पर पाबंदी लगा दी है और विमानों को देश के बाहर ईंधन भरने के बाद ही उतरने को कहा है।

उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार मुद्दे और देश के संविधान संबंधी अपने लोगों की चिंताओं के समाधान के लिए सभी कदम उठा रही है। उपाध्याय ने कहा, ‘अपने नए संविधान के सभी प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए हम जल्द ही एक परिचर्चा करेंगे।’

नेपाल का संविधान मसविदा तैयार होने के दौरान मधेशियों ने इन इलाकों में हिंसक प्रदर्शन भी किया था। जबर्दस्त समर्थन से संविधान पारित किए जाने के कुछ घंटे बाद ही हिंसा शुरू हो गई और जरूरी रसद लेकर काठमांडो की तरफ जाने वाले ट्रकों को रोक दिया गया। नेपाल को लगता है कि जरूरी चीजों की आपूर्ति में बाधा डाल कर भारत उसे मजबूर कर रहा है।

‘अगर आप हमें मजबूर करेंगे या जैसा कि आप कहते हैं मरता क्या ना करता तो हम दूसरे देशों से संपर्क करने को विवश हो जाएंगे। हालांकि, सामान भेजने संबंधी दिक्कतें है लेकिन अगर कोई विकल्प नहीं बचता तो नेपाल चीन सहित अन्य देशों से संपर्क करेगा।’… दीप कुमार उपाध्याय, नेपाल के राजदूत