आंग सान सू ची को बर्मा की विपक्षी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) का नेता चुन लिया गया है। उनका चुनाव पार्टी के पहले अधिवेशन में किया गया।
अभी हाल ही में रंगून में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए 67 साल की सू ची ने एकता की अपील की थी।
साल 1990 में हुए चुनाव में मिली विजय के बाद बर्मा के शैन्य शासन ने एनएलडी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सरकार की ओर से किए गए सुधारों के बाद पार्टी ने पिछले साल हुए संसदीय चुनावों में सीटें जीती थीं। अब उसकी नजर 2015 में होने वाले आम चुनावों पर है।
एकता पर जोर
रंगून स्थित बीबीसी संवाददाता जॉन फिशर के मुताबिक पार्टी की 15 सदस्सीय कार्यकारी समिति की चार महिला सदस्यों में से आंग सान सू ची एक हैं।
देश में पिछले साल हुए चुनाव में संसद के लिए चुने गए लोगों में सू ची भी शामिल थीं। शनिवार को दिए भाषण में उन्होंने पार्टी के अंदर गुटबाजी और मतभेदों की बात स्वीकार की थी।
अधिवेशन में मौजूद पार्टी के नौ सौ प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सू ची ने कहा था कि हमें देशहित में एकजुट होकर तरक्की करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पार्टी कांग्रेस का आयोजन ऐसे सही नेता के चुनाव के लिए किया गया है, जो देश और संगठन दोनों को आगे ले जा सके। सू ची ने युवा कार्यकर्ताओं से पार्टी को मजबूत बनाने की अपील की।
बर्मा में एनएलडी के करीब 12 लाख कार्यकर्ता है। पार्टी ने 1990 में हुए आम चुनाव में भारी जीत दर्ज की थी। लेकिन सेना ने उसे सत्ता नहीं संभालने दी।
सैन्य शासन ने आंग सान सू ची को उसके बाद से ही उनके ही घर में नजरबंद रखा। एनएलडी ने 2010 में हुए संसदीय चुनाव को भेदभावपूर्ण बताते हुए उनका बहिष्कार किया था।
लेकिन 2012 में राष्ट्रपति थीन सीन की नागरिक सरकार की ओर से शुरू किए गए सुधारों के तहत हुए उपचुनाव में पार्टी ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जीतने वालों में आंग सान सू ची भी शामिल थीं।