नई दिल्ली. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के शुक्रवार को दो चेहरे सामने आए। एक ओर उन्होंने दुष्कर्म के दो आरोपियों को पेरोल पर छोडऩे की सिफारिश की। जिसे लेफ्टिनेंट गवर्नर ने खारिज कर दिया। दूसरी ओर उन्होंने कहा कि ‘दिल्ली में मेरी बेटी भी खुद को असुरक्षित महसूस करती है।Ó
दुष्कर्मियों को पैरोल देने की सिफारिश के मुद्दे पर भाजपा महिला मोर्चा ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया और काले झंडे दिखाए। तालकटोरा स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की कार को घेर लिया।
थरूर की कार के शीशे तोड़ दिए। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि दिल्ली की सरकार का दोमुंहापन सामने आ गया है। दुष्कर्मियों को पेरोल की सिफारिश बताती है कि दीक्षित महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों पर गंभीर नहीं हैं।
दिल्ली में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब: शीला दीक्षित
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों के आंकड़े शर्मनाक हंै। ऐसा क्यों होता है कि कोई लड़की सड़क पर चलती है तो किसी को उसे छेडऩा ही चाहिए।
हम जब स्कूल या कॉलेज जाते थे, तब सीटियां बजती थीं। लेकिन स्थिति इतनी खराब नहीं थी। महिलाओं में असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं। इसके बावजूद ‘मैं कानून-व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हूं… मैं यह नहीं कह सकती कि 16 दिसंबर के बाद शहर में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति सुधरी है या नहीं।Ó
यह है मामला
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एवं गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद रे ने दुष्कर्म के दो दोषियों हरप्रीत सिंह और दुलीचंद को पेरोल पर रिहा करने की सिफारिश की थी। दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने इन आवेदनों को खारिज कर दिया। हरप्रीत और दुलीचंद उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
हरप्रीत नौ साल और दुलीचंद 13 साल से जेल में हैं। हरप्रीत ने स्पेशल लीव पीटिशन और दुलीचंद ने घरेलू संपत्ति विवाद सुलझाने के लिए पेरोल मांगा था। दिल्ली के मुख्य सचिव ने सिफारिश का बचाव करते हुए कहा कि तिहाड़ जेल से दोनों दोषियों के संबंध में सकारात्मक रिपोर्ट मिली थी।